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क्या ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर लगेगा बैन? सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' पर विवाद बढ़ता जा रहा है, जिसमें कन्हैयालाल की हत्या को दर्शाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है, जबकि दिल्ली हाई कोर्ट में भी सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ताओं ने फिल्म में आपत्तिजनक संवादों और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले दृश्यों पर आपत्ति जताई है। फिल्म के निर्देशक ने स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं है। जानें इस मामले में आगे क्या होगा और फिल्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

उदयपुर फाइल्स पर विवाद गहराता

उदयपुर में कन्हैयालाल की क्रूर हत्या पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को संबंधित अदालत में अपनी बात रखने का अधिकार है, और इस समय फिल्म को रिलीज होने दिया जाएगा। यह निर्णय फिल्म के रिलीज के एक दिन पहले आया, जिससे निर्माताओं को राहत मिली है.


दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट में 'उदयपुर फाइल्स' के खिलाफ सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ताओं ने फिल्म में आपत्तिजनक संवादों और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले दृश्यों पर आपत्ति जताई है। इन याचिकाओं में फिल्म को समाज में नफरत फैलाने वाला बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर 4 जुलाई को जारी किया गया था, जिसमें विशेष समुदाय के खिलाफ अपमानजनक बातें दिखाई गईं।


मौलाना अरशद मदनी और रजा एकेडमी की याचिका

दारुल उलूम देवबंद और मौलाना अरशद मदनी ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें दावा किया गया है कि फिल्म में देवबंद और मुस्लिम समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। रजा एकेडमी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (MSO) के अधिकारियों ने भी याचिका दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि यह फिल्म देश की सांप्रदायिक एकता को नुकसान पहुंचा सकती है।


निर्देशक का स्पष्टीकरण

फिल्म के निर्देशक भारत एस. श्रीनेत ने कहा कि उनका उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं है, बल्कि कन्हैयालाल साहू की हत्या के पीछे की मानसिकता को उजागर करना है। उन्होंने कहा, "हमने पूरी जिम्मेदारी से फिल्म बनाई है, इसमें पैगम्बर मोहम्मद के बारे में कोई आपत्तिजनक दृश्य नहीं है। सेंसर बोर्ड ने इसे 130 कट्स के बाद पास किया है। विरोध करने वालों से मैं निवेदन करता हूं कि वे पहले फिल्म देखें, फिर अपनी राय बनाएं."


फिलहाल, फिल्म 11 जुलाई को निर्धारित समय पर रिलीज होने जा रही है। अब देखना होगा कि दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय क्या होता है और यह फिल्म सामाजिक समरसता और कानून व्यवस्था पर क्या प्रभाव डालती है.