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गणेश चतुर्थी पर पूजा में बचने योग्य पांच सामान्य गलतियाँ

गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो श्रद्धा और आनंद का प्रतीक है। इस अवसर पर पूजा करते समय कुछ सामान्य गलतियों से बचना आवश्यक है। सही दिशा में मूर्ति की स्थापना, टूटी मूर्ति का उपयोग न करना, चंद्र दर्शन से बचना, सही प्रसाद का भोग लगाना और स्वच्छता का ध्यान रखना जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देने से पूजा का फल प्राप्त होता है। जानें इन पांच प्रमुख गलतियों के बारे में और अपने गणेश चतुर्थी को और भी खास बनाएं।
 

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा और खुशी का एक ऐसा अवसर है, जब चारों ओर मोदक की मिठास और भक्ति के मंत्र गूंजते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब विघ्नहर्ता गणपति हमारे घर में आते हैं, तो वे सुख, समृद्धि और ज्ञान का संचार करते हैं। हालांकि, यदि पूजा की विधि और परंपराओं का पालन नहीं किया गया, तो भक्ति के बावजूद हमें उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर किन पांच प्रमुख गलतियों से बचना चाहिए—


1. मूर्ति की दिशा का ध्यान रखें

कल्पना कीजिए, एक सुंदर गणेश प्रतिमा घर के कोने में रखी है, लेकिन यदि उसकी दिशा गलत है, तो पूरे वातावरण की ऊर्जा प्रभावित होती है। वास्तु के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति को उत्तर या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करना चाहिए। ये दिशाएं ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक मानी जाती हैं। यदि मूर्ति को दक्षिण दिशा में रखा जाए, तो यह सौभाग्य के प्रवाह को रोक सकती है। सही दिशा में प्रतिष्ठा करने से घर में दिव्य ऊर्जा का संचार होता है।


2. टूटी मूर्ति की पूजा न करें

भगवान गणेश का स्वरूप पूर्णता का प्रतीक है। इसलिए, टूटी-फूटी मूर्ति की पूजा करना नकारात्मकता को आमंत्रित कर सकता है। जब आप मंदिर में सुंदर प्रतिमाएं देखते हैं, तो उनका सौंदर्य भक्ति को जागृत करता है। इसलिए, घर में स्थापना के लिए एक संपूर्ण और सुंदर मूर्ति का चयन करना आवश्यक है। पूजा शुरू करने से पहले सुनिश्चित करें कि प्रतिमा में कोई दरार या खरोंच न हो।


3. चंद्र दर्शन से बचें

गणेश चतुर्थी की रात आसमान में चमकता चंद्रमा मनमोहक होता है, लेकिन परंपरा कहती है कि इस दिन उसका दर्शन अशुभ है। पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास किया था, जिसके कारण यह नियम बना। यदि गलती से चंद्रमा दिख जाए, तो गणपति मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' का जप करने से दोष का निवारण हो जाता है।


4. गलत प्रसाद का भोग न लगाएं

गणपति बप्पा का हृदय बालसुलभ है और उन्हें मोदक, लड्डू और फल प्रिय हैं। इसलिए, केवल सात्विक और शुद्ध भोजन ही उन्हें अर्पित करें। लहसुन, प्याज या मांसाहारी व्यंजन जैसे तामसिक पदार्थ पूजा के वातावरण को दूषित कर देते हैं। तुलसी पत्र का भोग भी निषिद्ध है, क्योंकि इसकी स्वीकृति गणेश जी के पूजन में नहीं है।


5. स्वच्छता का ध्यान रखें

जहां भगवान का वास होता है, वहां स्वच्छता का विशेष महत्व है। यदि पूजा का स्थान गंदा या अव्यवस्थित है, तो सकारात्मक ऊर्जा मंद पड़ जाती है। गणेश स्थापना से पहले पूरे स्थल को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। ताजे फूलों की माला, धूपबत्ती और दीपक का प्रकाश वातावरण को दिव्यता से भर देता है।