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गीता पाठ से कैदियों में आत्म-उन्नयन की प्रेरणा

भिवानी के जिला कारागार में गीता पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें बंदियों को आत्म-उन्नयन और मानसिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा दी गई। आचार्य डा. मुरलीधर शास्त्री ने गीता के श्लोकों के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव की दिशा में मार्गदर्शन किया। यह कार्यक्रम न केवल कैदियों के व्यवहार में सुधार लाने का प्रयास है, बल्कि उन्हें बेहतर इंसान बनने के लिए भी प्रेरित करता है।
 

जिला कारागार में गीता पाठ का आयोजन


  • बंदियों को गीता के उपदेशों से मिली नई दिशा


(Bhiwani News) भिवानी। भिवानी के जिला कारागार में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक शांति को बढ़ावा देने के लिए गीता पाठ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिओ गीता के सदस्य विनोद छाबड़ा, श्यामलाल और आचार्य डा. मुरलीधर शास्त्री ने बंदियों को श्रीमद् भागवत गीता के श्लोकों के माध्यम से आत्मचिंतन और जीवन में सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा दी।


उन्होंने सरल भाषा में श्लोकों का अर्थ समझाते हुए उनके महत्व को बताया। कार्यक्रम के दौरान कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन जैसे श्लोकों के माध्यम से कैदियों को कर्म के महत्व और परिणामों से निर्लिप्त रहने की प्रेरणा दी गई।


कैदियों के व्यवहार में सुधार और आत्म-उन्नयन का मार्ग


कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप और गौमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन से हुई। इस अवसर पर जिला जेल उप अधीक्षक अनिल कुमार ने अध्यक्षता की। आचार्य डा. मुरलीधर शास्त्री ने कहा कि गीता पाठ का उद्देश्य केवल कैदियों के व्यवहार में सुधार लाना नहीं है, बल्कि उन्हें आत्म-उन्नयन का मार्ग दिखाना भी है। उन्होंने बताया कि गीता जीवन जीने की कला सिखाती है, जो हर परिस्थिति में मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से बंदियों को बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित किया गया है।