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चिकित्सा शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी

चिकित्सा शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है। इस प्रक्रिया में योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर उन लोगों को प्राथमिकता दी गई, जिन्होंने इंटरव्यू तक नहीं दिया। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और क्या कार्रवाई की जाएगी।
 

संयुक्त निदेशक की नियुक्ति में विवाद


UP NEWS: चिकित्सा शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर नियुक्ति में नियमों की अनदेखी का एक गंभीर मामला सामने आया है। इस प्रक्रिया में उन व्यक्तियों को प्राथमिकता दी गई, जिन्होंने इंटरव्यू तक नहीं दिया, जबकि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस मामले की जांच का आश्वासन दिया है।


एक समाचार पत्र के अनुसार, चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण महानिदेशक ने 13 जनवरी 2025 को सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अन्य संस्थानों के निदेशकों को पत्र भेजकर तीन पदों के लिए इच्छुक चिकित्सा शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। इनमें एक अपर निदेशक और दो संयुक्त निदेशक के पद शामिल थे। इस प्रक्रिया के तहत, बांदा के प्रो. डॉ. गुलजारी लाल निगम और प्रयागराज के प्रो. डॉ. खुर्शीद परवीन ने अपर निदेशक पद के लिए आवेदन किया। वहीं, संयुक्त निदेशक पद के लिए कई अन्य चिकित्सकों ने भी आवेदन किया।


रिपोर्ट के अनुसार, आवेदकों को 11 फरवरी 2025 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। परिणाम 30 मई को घोषित किए गए, जिसमें डॉ. गुलजारी लाल निगम को संयुक्त निदेशक के पद पर चयनित किया गया, जबकि जीएसवीएम कॉलेज कानपुर के डॉ. सचिन कुमार का नाम भी चयनित उम्मीदवारों में था, हालाँकि उनका नाम इंटरव्यू देने वालों की सूची में नहीं था।


इस मामले के उजागर होने के बाद, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि विधिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह ने कहा कि चयन समिति इस मामले की जिम्मेदार है।


जब अपर निदेशक डॉ. आलोक कुमार से इस मामले पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया उनके कार्यभार ग्रहण करने से पहले पूरी हो चुकी थी और वे फाइल देखने के बाद ही कुछ बता सकेंगे।