जॉली LLB 3: अक्षय और अरशद की जोड़ी ने फिर से किया जादू, जानें फिल्म की कहानी
जॉली LLB 3 का परिचय
Akshay Kumar Jolly LLB 3: यदि आपने 'जॉली LLB' (2013) और 'जॉली LLB 2' (2017) देखी हैं और उनके कोर्टरूम ड्रामे, सामाजिक मुद्दों और हास्य से भरे अंदाज को पसंद किया है, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। 'जॉली LLB 3' अब सिनेमाघरों में आ चुकी है, और इस बार कहानी में एक नया मोड़ है क्योंकि दोनों पुराने जॉली, अरशद वारसी और अक्षय कुमार, एक साथ स्क्रीन पर नजर आ रहे हैं। यह तीसरी कड़ी एक बार फिर से उन सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। यह केवल अदालत की लड़ाई नहीं है, बल्कि न्याय और नैतिकता, लालच और ईमानदारी, अमीरी और गरीबी के बीच की जद्दोजहद है।
कहानी का सारांश: बीकानेर से बॉस्टन तक
फिल्म की कहानी राजस्थान के बीकानेर जिले के एक गांव से शुरू होती है, जहां एक धनी व्यवसायी हरिभाई खेतान (गजराज राव) 'बीकानेर टू बॉस्टन' नामक एक विशाल प्रोजेक्ट की योजना बना रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए उसे किसानों की भूमि की आवश्यकता है, जिसे हासिल करने के लिए वह राजनीतिक दबाव, अधिकारियों की मिलीभगत और झूठे वादों का सहारा लेता है। स्थिति तब बिगड़ जाती है जब एक किसान आत्महत्या कर लेता है। उसकी पत्नी जानकी (सीमा बिस्वास) न्याय की उम्मीद में पहले जॉली 1 (अरशद वारसी) और फिर जॉली 2 (अक्षय कुमार) के पास जाती है। शुरुआत में दोनों मदद करने से हिचकिचाते हैं, लेकिन जब उन्हें सच्चाई का पता चलता है, तो वे मिलकर इस अन्याय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं।
फिल्म की संरचना और टोन
जॉली LLB 3 दो भागों में विभाजित है। पहले भाग में हल्के-फुल्के हास्य और कोर्टरूम के बाहर के मजेदार क्षण हैं, जहां अक्षय और अरशद की नोकझोंक दर्शकों को हंसाती है। दूसरे भाग में फिल्म गंभीर मोड़ लेती है, जिसमें किसानों की पीड़ा, सामाजिक अन्याय और कानूनी जटिलताओं को उजागर किया गया है। हालांकि पहले दो भागों की तुलना में इस बार कोर्टरूम ड्रामा थोड़ा कमजोर लगता है, फिर भी मुद्दों की गंभीरता फिल्म को जमीन से जोड़े रखती है।
अक्षय और अरशद: कौन है बेहतर?
जहां अक्षय कुमार को अधिक स्क्रीन टाइम मिला है, वहीं अरशद वारसी का किरदार भावनात्मक गहराई लिए हुए है। अक्षय की कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग डिलीवरी प्रभावशाली है, लेकिन अरशद का गंभीर पक्ष इस बार अलग रूप में सामने आता है।
सपोर्टिंग कास्ट का योगदान
सौरभ शुक्ला एक बार फिर जज के किरदार में शानदार प्रदर्शन करते हैं। उनकी हाजिरजवाबी और सहजता कोर्ट सीन्स को जीवंत बना देती है। सीमा बिस्वास कम संवादों में भी अपनी आंखों से पूरी कहानी बयां कर जाती हैं। गजराज राव इस बार नकारात्मक किरदार में हैं, हालांकि उनका व्यक्तित्व उस स्तर की धमक नहीं ला पाता। राम कपूर एक सशक्त वकील के रूप में अक्षय के समक्ष खड़े होते हैं।
फिल्म का सामाजिक संदेश
जॉली LLB 3 एक बार फिर से समाज के उन मुद्दों को उठाती है जो आम आदमी के जीवन से जुड़े हैं, जैसे किसान आत्महत्या, भूमि अधिग्रहण, सिस्टम की विफलताएं और न्याय की कठिन राहें। फिल्म यह दिखाने का प्रयास करती है कि कानून केवल तर्क और सबूत का खेल नहीं है, बल्कि इसमें भावनाएं और इंसानियत भी शामिल होती हैं।
यदि आप सामाजिक मुद्दों को समझने वाली फिल्मों में रुचि रखते हैं और कोर्टरूम ड्रामा के प्रशंसक हैं, तो जॉली LLB 3 एक बार जरूर देखी जा सकती है। फिल्म में मनोरंजन, हास्य, सामाजिक संदेश और इमोशन का संतुलन है।