जॉली एलएलबी 3: एक नई सामाजिक कहानी के साथ कोर्टरूम ड्रामा
जॉली एलएलबी 3 एक नई सामाजिक कहानी के साथ लौटती है, जिसमें अक्षय कुमार और अरशद वारसी की जोड़ी एक बार फिर दर्शकों का दिल जीतने के लिए तैयार है। यह फिल्म राजस्थान के बीकानेर में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर आधारित है, जिसमें किसानों की दुर्दशा और न्याय की लड़ाई को दर्शाया गया है। फिल्म में हास्य और गंभीरता का अनूठा मिश्रण है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। जानें इस फिल्म की कहानी, कलाकारों का प्रदर्शन और आलोचकों की रेटिंग।
Sep 19, 2025, 14:03 IST
सेंसरशिप और रचनात्मकता
जब सेंसरशिप रचनात्मकता को बाधित करती है, तो फिल्म निर्माता या तो उसके अनुरूप ढल जाते हैं या उसे तोड़-मरोड़ देते हैं। सुभाष कपूर, जो व्यंग्य को मीठा बनाने में माहिर हैं, इस बार ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल में 2011 में हुए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान आंदोलन की कहानी लेकर आए हैं, जिसने विकास की राजनीति को प्रभावित किया और उनकी फिल्म 'जॉली एलएलबी' को नई दिशा दी। 'जॉली एलएलबी' (2013) और 'जॉली एलएलबी 2' (2017) के दर्शक, जिन्होंने सामाजिक संदेशों और हल्के-फुल्के हास्य से भरे कोर्टरूम ड्रामा का आनंद लिया, अब 'जॉली एलएलबी 3' में दोनों जॉली की वापसी को देखेंगे, जो इस बार केवल एक अदालती मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि नैतिकता, लालच, धन-दौलत और गरीबी के मुद्दों को भी छूता है।
कहानी का सार
'जॉली एलएलबी 3' की कहानी राजस्थान के बीकानेर ज़िले के एक गाँव में स्थापित है, जहाँ एक धनी व्यापारी, हरिभाई खेतान (गजराज राव), अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'बीकानेर टू बोस्टन' की शुरुआत करना चाहता है। इसके लिए उसे गाँव के किसानों की ज़मीन की आवश्यकता होती है। जब किसान अपनी ज़मीन देने से मना कर देते हैं, तो हरिभाई खेतान स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की मदद से उन्हें गुमराह कर अवैध रूप से ज़मीन हासिल कर लेता है।
किसान की त्रासदी
स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब एक किसान दबाव में आकर आत्महत्या कर लेता है। उसकी पत्नी जानकी (सीमा बिस्वास) न्याय की उम्मीद में जॉली (अरशद वारसी) और फिर जॉली (अक्षय कुमार) के पास जाती है, लेकिन दोनों शुरू में मदद करने से हिचकिचाते हैं। हालाँकि, जब उन्हें सच्चाई का पता चलता है, तो वे अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर मुकदमा लड़ने का निर्णय लेते हैं।
फिल्म का स्वर और कथानक
'जॉली एलएलबी 3' का पहला भाग हल्का-फुल्का है, जिसमें हास्य और अदालत के बाहर की नोक-झोंक शामिल है। जबकि दूसरा भाग अधिक गंभीर और भावुक है, जो किसानों की दुर्दशा और सामाजिक न्याय पर जोर देता है। अक्षय कुमार और अरशद वारसी के बीच की नोक-झोंक दर्शकों को बांधे रखती है। सौरभ शुक्ला, जो जज त्रिपाठी की भूमिका में लौटते हैं, अपनी संवाद अदायगी से फिल्म को खास बनाते हैं।
कलाकारों का प्रदर्शन
अगर आप सोच रहे हैं कि जॉली एलएलबी की दोनों फिल्मों में से कौन अधिक प्रभावशाली है, तो अक्षय कुमार का नाम सबसे पहले आता है। उनके पास अधिक दृश्य हैं और उनकी उपस्थिति अरशद वारसी पर भारी पड़ती है। हालांकि, 'जॉली एलएलबी' में उनका किरदार अधिक गंभीर है, जिससे उनका प्रदर्शन थोड़ा अटपटा लगता है।
सामाजिक मुद्दों पर ध्यान
'जॉली एलएलबी 3' केवल एक कोर्टरूम ड्रामा नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था की खामियों और आम आदमी के लिए न्याय पाने में आने वाली कठिनाइयों को उजागर करती है। फिल्म में किसान आत्महत्या और भूमि अधिग्रहण जैसे संवेदनशील मुद्दों को दर्शाया गया है। यह दिखाती है कि कानूनी लड़ाई केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें भावनाएँ और संघर्ष भी शामिल होते हैं।
फिल्म का समापन
हालांकि यह फिल्म सबसे बेहतरीन कोर्टरूम ड्रामा नहीं है, लेकिन यह साबित करती है कि यह फ्रैंचाइज़ी आज भी प्रासंगिक है। 'जॉली एलएलबी 3' आपको हंसाने, सोचने पर मजबूर करने और खुश करने में सक्षम है।
फिल्म की जानकारी
फ़िल्म का नाम: जॉली एलएलबी 3
आलोचकों की रेटिंग: 3/5
रिलीज़ की तारीख: 19 सितंबर, 2025
निर्देशक: सुभाष कपूर
शैली: कोर्टरूम-ड्रामा