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दशहरा पर्व की तैयारी: जींद में पुतले बनाने में जुटे कारीगर

जींद में दशहरा पर्व की तैयारियों के तहत रामलीला कमेटियों ने रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। इस बार पुतलों की ऊंचाई बढ़ाई गई है और उनमें नई विशेषताएं जोड़ी गई हैं। 76 वर्षीय खैरेती लाल ने बताया कि यह काम उनके परिवार की विरासत है। जानें इस बार के पुतलों में क्या खास है और रावण दहन के दौरान क्या आयोजन होंगे।
 

दशहरा पर्व की तैयारियों में जुटे कारीगर



  • इस बार कुंभकरण के सींग लगाए गए हैं, रावण के पुतले की आंखें और मुंह गतिशील होंगे।

  • रेलवे जंक्शन ग्राउंड और अर्जुन स्टेडियम में रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा।


जींद। 2 अक्टूबर को रावण दहन के लिए रामलीला कमेटियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार भी शहर में अर्जुन स्टेडियम और रेलवे जंक्शन ग्राउंड में रावण के पुतलों का दहन होगा। अर्जुन स्टेडियम में रावण के पुतले की ऊंचाई 50 फीट होगी, जबकि पिछले साल यह 45 फीट थी। रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने वाले कलाकारों का कहना है कि इस बार कुंभकरण के पुतले में सींग जोड़े गए हैं।


पुतलों में आतिशबाजी का प्रयोग

रावण की आंखें लाल रहेंगी, जो अंधेरे में चमकेंगी। पिछले साल की तरह रावण का मुंह और आंखें गतिशील रहेंगी, लेकिन इस बार पुतले की ऊंचाई पांच फीट बढ़ाई गई है। पुतलों में आतिशबाजी का प्रयोग किया जाएगा, और इन पर लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च आएगा। रावण दहन के दौरान मेले का आयोजन भी किया जाएगा। बाजार दशहरा पर्व को लेकर सज गया है। 2 अक्टूबर को रावण का दहन होगा, और कलाकार पुतलों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।


76 वर्षीय खैरेती लाल की विरासत

श्याम नगर के 76 वर्षीय खैरेती लाल ने बताया कि रावण परिवार के पुतले बनाना उनके लिए एक विरासत है। उनके पिता और दादा भी इसी काम में लगे थे। समय के साथ इस कला में बदलाव आया है। उनके परिवार के छह सदस्य पिछले 40 दिनों से पुतले बनाने में व्यस्त हैं। खैरेती लाल का कहना है कि मेहनत के बदले पैसे तो मिलते हैं, लेकिन जब पुतले जलते हैं, तो दिल को दर्द भी होता है। बुराई का प्रतीक जलाने पर एक तरह की संतोष भी मिलती है।


पुतले बनाने में लागत लगभग डेढ़ लाख रुपये आई है। पिछले साल की तुलना में इस बार पुतलों के जूतों के आकार में भी बदलाव किया गया है। रावण के पैर काले, कुंभकरण के पीले और मेघनाथ के गुलाबी रंग के होंगे। इस बार मेघनाथ का हथियार भाला नहीं, बल्कि गदा होगी, जबकि रावण के हाथ में तलवार रहेगी।