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दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस मंच से दूरी बनाने के कारण बताए

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बताया कि उन्होंने पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर बैठने से क्यों दूरी बनाई है। उनका मानना है कि कार्यकर्ताओं के बीच रहना आवश्यक है और मंच पर अतिक्रमण की समस्या को लेकर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय संगठन को सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। जानें उनके विचार और महात्मा गांधी के उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने किस तरह से सादगी और समानता को महत्व दिया।
 

दिग्विजय सिंह का मंच से दूरी बनाने का निर्णय

भोपाल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए स्पष्ट किया है कि उन्होंने पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर बैठने से क्यों परहेज किया है। उनका कहना है कि कार्यकर्ताओं के बीच रहना आवश्यक है। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कई बार मंच पर उन लोगों को नहीं मिल पाता, जिन्हें वहां होना चाहिए, जबकि नेताओं के समर्थक मंच पर अतिक्रमण कर लेते हैं। इससे अव्यवस्था फैलती है और कभी-कभी मंच टूटने जैसी घटनाएं भी होती हैं। उन्होंने एक फोटो कोलाज साझा किया है, जिसमें वह कार्यकर्ताओं के साथ दिखाई दे रहे हैं।


दिग्विजय सिंह ने फेसबुक पर लिखा कि उनका मंच पर न बैठने का निर्णय केवल व्यक्तिगत विनम्रता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह संगठन को विचारधारात्मक रूप से मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है। यह निर्णय कांग्रेस की मूल विचारधारा—“समता, अनुशासन और सेवा” का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को नया विश्वास और हौसला देने के लिए संगठन में सादगी जरूरी है। उन्होंने मध्यप्रदेश में 2018 में 'पंगत में संगत' और 2023 में 'समन्वय यात्रा' के दौरान भी मंच से दूर रहने का निर्णय लिया, ताकि कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच कोई दूरी न रहे।


उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए ऐसी मिसाल पेश की थी। 17 मार्च 2018 को दिल्ली में आयोजित कांग्रेस के पूर्ण राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य वरिष्ठ नेता मंच से नीचे बैठे थे। यहां तक कि स्वागत-सत्कार भी उनके बैठने के स्थान पर हुआ। उन्होंने इसे कांग्रेस पार्टी का एक सफल प्रयोग बताया।


महात्मा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक, नेताओं का जनता के बीच रहना एक मिसाल बनता रहा है। गांधी जी ने असहयोग आंदोलन के दौरान मंच पर न बैठकर आम लोगों के साथ बैठने का उदाहरण पेश किया। एक बार जब आयोजकों ने उनके लिए मंच पर कुर्सी रखी, तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया और जमीन पर बैठ गए। उनका यह व्यवहार उनकी विनम्रता और समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि 28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में कांग्रेस के कार्यक्रमों में मंच पर न बैठने का निर्णय उनके लिए नया नहीं है।


कांग्रेस हमेशा कार्यकर्ताओं की पार्टी रही है। जब भी पार्टी सत्ता में रही है, यह कार्यकर्ताओं के समर्थन पर निर्भर रही है। पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने देखा है कि जिन लोगों को मंच पर होना चाहिए, वे वंचित रह जाते हैं, जबकि कुछ समर्थक मंच पर अतिक्रमण कर लेते हैं। इससे अव्यवस्था फैलती है और कई बार मंच टूटने जैसी घटनाएं भी होती हैं।