दिव्या दत्ता: संघर्षों से भरी जिंदगी और सिंगल रहने का सफर
बॉलीवुड की चमक के पीछे की कहानी
बॉलीवुड के सितारे न केवल अपने पेशेवर जीवन में बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी कई चुनौतियों का सामना करते हैं। ऐसे में दिव्या दत्ता एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया। उनके पिता का साया बचपन में ही उठ गया था, और इसके बाद उन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। आज, दिव्या अपने 48वें जन्मदिन पर, अपने जीवन की कहानी साझा कर रही हैं।
छावा में अदाकारी का जादू
दिव्या दत्ता का जन्म लुधियाना, पंजाब में हुआ। उन्होंने हिंदी और पंजाबी सिनेमा में काम किया है, साथ ही मलयालम और अंग्रेजी फिल्मों में भी अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है। उन्होंने सपोर्टिंग एक्ट्रेस से लीड एक्ट्रेस का सफर तय किया है। हाल ही में, उन्होंने विक्की कौशल की फिल्म 'छावा' में सोयराबाई का किरदार निभाया, जिसमें उन्होंने अपने नेगेटिव रोल से दर्शकों का दिल जीत लिया।
पिता का साया बचपन में ही छूटा
दिव्या की व्यक्तिगत जिंदगी में भी कई कठिनाइयाँ आई हैं। जब वह केवल 7 साल की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उनकी मां ने दिव्या और उनके भाई की परवरिश अकेले की। दिव्या की लव लाइफ भी उतनी सुखद नहीं रही।
सिंगल जीवन का चुनाव
48 साल की उम्र में भी दिव्या दत्ता सिंगल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी सगाई 2005 में लेफ्टिनेंट कमांडर संदीप शेरगिल से हुई थी, लेकिन कुछ मतभेदों के कारण यह रिश्ता टूट गया। इसके बाद से दिव्या ने कभी शादी नहीं की और वह ताउम्र कुंवारी रहीं। दिव्या ने 'वीर जारा', 'भाग मिल्खा भाग', 'हीरोइन', 'बदलापुर' और 'स्टेनली का डब्बा' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है।