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दुर्गा खोटे: हिंदी सिनेमा की पहली महिला स्टार

दुर्गा खोटे, हिंदी सिनेमा की पहली महिला स्टार, ने अपने करियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने समाज की सोच को चुनौती दी और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। उनकी पहली फिल्म 'फरेबी जाल' 1931 में रिलीज हुई थी। दुर्गा को उनके योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। जानें उनके जीवन की अनकही कहानियाँ और संघर्ष।
 

हिंदी सिनेमा की पहली महिला स्टार

Bollywood Actress: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए अभिनेत्रियों और अभिनेताओं ने हमेशा मेहनत की है। आज हम आपको एक ऐसी अदाकारा के बारे में बताएंगे, जिन्होंने उस समय में नाम कमाया, जब महिलाएं फिल्मों से दूर रहती थीं। तो चलिए जानते हैं इस अदाकारा के बारे में…


कौन हैं ये अदाकारा?

हम जिस अदाकारा की बात कर रहे हैं, वह कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री दुर्गा खोटे हैं। दुर्गा ने उस समय में काम करना शुरू किया, जब महिलाओं और फिल्म इंडस्ट्री का कोई संबंध नहीं था। उनका जन्म 14 जनवरी 1905 को हुआ था, और उन्होंने समाज की सोच को चुनौती देते हुए फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।


18 साल की उम्र में विवाह

दुर्गा ने न केवल समाज की सोच से लड़ने का निर्णय लिया, बल्कि इसमें सफलता भी प्राप्त की। जब वह केवल 18 वर्ष की थीं, तब उनकी शादी विश्वनाथ खोटे से हुई। दुर्भाग्यवश, जब दुर्गा 20 साल की हुईं, तो उनके पति का निधन हो गया। उनके दो बच्चे थे, जिनकी जिम्मेदारी अब दुर्गा पर आ गई।


1931 में पहली फिल्म

अपने बच्चों की देखभाल के लिए दुर्गा ने ट्यूशन देना शुरू किया। इसी दौरान उन्हें फिल्मों के प्रस्ताव मिले, और उन्होंने इन प्रस्तावों को स्वीकार किया। उनकी पहली फिल्म 'फरेबी जाल' 1931 में रिलीज हुई थी, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रातों-रात एक स्टार बन गईं।


दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

दुर्गा ने अपने करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया। इसके बाद उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस भी स्थापित किया। उनके कार्य और सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज भले ही दुर्गा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका नाम आज भी उतना ही प्रसिद्ध है।