धर्मस्थल विवाद: सोशल मीडिया की अफवाहों का असर
धर्मस्थल का विवाद और सोशल मीडिया का प्रभाव
श्री क्षेत्र धर्मस्थल, जो सदियों से सेवा और आस्था का प्रतीक रहा है, अब एक गंभीर विवाद में उलझ गया है। यह विवाद किसी ठोस अपराध के कारण नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों के चलते उत्पन्न हुआ है। यह सवाल उठता है कि इन झूठी कहानियों का लाभ किसे मिल रहा है और एक धार्मिक संस्था की प्रतिष्ठा को किस कीमत पर दांव पर लगाया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी 'अनन्या भट्ट' की कहानी ने इस विवाद को और बढ़ावा दिया है। दावा किया गया कि 2003 में कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज की छात्रा अनन्या भट्ट धर्मस्थल में लापता हो गई थी, और इस मामले को दबा दिया गया। हालांकि, कॉलेज के रिकॉर्ड में ऐसा कोई नाम नहीं है, और पुलिस या मीडिया के अभिलेखों में इस घटना का कोई उल्लेख नहीं है। यह मामला पूरी तरह से काल्पनिक साबित हुआ है।
महेश शेट्टी के सनसनीखेज आरोप
महेश शेट्टी का विवादास्पद बयान
इस कहानी को बढ़ावा देने में महेश शेट्टी थिमारोडी का नाम प्रमुखता से सामने आया है, जो 1995 से 2014 तक धर्मस्थल में स्वच्छता ठेकेदार रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें मंदिर से जुड़े आपराधिक मामलों में शवों को नष्ट करने के लिए मजबूर किया गया था। हाल ही में, उन्होंने कथित दफन स्थलों की तस्वीरें SIT को सौंपी हैं, लेकिन अब तक इन दावों का समर्थन करने वाला कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
व्यक्तिगत रंजिश का प्रभाव
महेश शेट्टी के आरोपों की विश्वसनीयता
महेश शेट्टी का धर्मस्थल प्रशासन के साथ पुराना विवाद रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके आरोप व्यक्तिगत नाराजगी और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की मंशा से प्रेरित हैं। उनके बयानों में कई असंगतियां पाई गई हैं, और अतीत में उन पर अनुशासनहीनता के आरोप भी लगे हैं। ऐसे में उनके द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है।