निहंगों की बदलती भूमिका: पंजाब में बढ़ती हिंसा और विवाद
निहंगों की पहचान और भूमिका
निहंग, जो सिखों की सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक माने जाते हैं, अब केवल सिखों की पहचान नहीं बल्कि पूरे पंजाबी समुदाय की विरासत के रूप में देखे जाते हैं। अकाली-भाजपा सरकार के दौरान, निहंग डेरों को आर्थिक सहायता देने की परंपरा शुरू की गई थी। 'निहंग' शब्द का अर्थ फारसी में मगरमच्छ है, और मुगलों ने सिख योद्धाओं की शक्ति को देखते हुए उन्हें यह नाम दिया।
निहंगों की वर्तमान स्थिति
समय के साथ, निहंगों की भूमिका में बदलाव आया है। आज, उनके पास दो मुख्य कार्य हैं: गुरुद्वारों की सेवा और सिख धर्म का प्रचार। अतीत में, वे अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा माने जाते थे, लेकिन अब उनकी पहचान कमजोर होती जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि कुछ निहंग कानून को अपने हाथ में लेने लगे हैं, जिससे उनकी छवि पर सवाल उठने लगे हैं।
हालिया विवाद और हिंसा
हाल ही में, लुधियाना की कंचन कुमारी उर्फ कमल भाभी की हत्या के मामले में दो निहंगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि मुख्य आरोपी अमृतपाल सिंह मेहरों अभी भी फरार है। आरोपियों ने बताया कि कंचन ने अपना नाम बदलकर 'कमल कौर' रख लिया था और युवाओं को गलत रास्ते पर ले जा रही थी। इसके बाद, कई सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स को भी धमकियां मिली हैं।
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ निहंगों की भूमिका
कंचन की हत्या के बाद, कुछ सिख संगठनों ने अमृतपाल का समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इसका विरोध किया है। श्री अकाल तख्त साहिब के हैड ग्रंथी ज्ञानी मलकीत सिंह ने इस हत्या को सही ठहराते हुए कहा कि अश्लीलता फैलाने वालों के साथ ऐसा होना चाहिए।
पंजाब में बढ़ती अराजकता
हाल के दिनों में, निहंगों द्वारा की गई हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, जैसे कि मंडी गोबिंदगढ़ में एक निहंग द्वारा पड़ोसी के हाथ काटने की घटना। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि निहंग, जो कभी निर्बल के बल के रूप में जाने जाते थे, अब दहशत पैदा कर रहे हैं।
कानून का राज और निहंगों की जिम्मेदारी
कानून का राज सभी के लिए समान है। यदि किसी को किसी के कार्यों से आपत्ति है, तो उसे कानून के माध्यम से समाधान खोजना चाहिए। पंजाब में अराजकता और भय का माहौल न बने, इसके लिए निहंगों को अपनी पहचान को सकारात्मक बनाए रखना होगा।
समाज में निहंगों की भूमिका
निहंगों की छवि को सकारात्मक बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि वे तालिबानी रास्ते पर न चलें। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो पंजाब में अराजकता का माहौल बन सकता है, जो सभी पंजाबी समुदाय के लिए हानिकारक होगा।
समापन
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक।