पंकज कपूर ने क्यों नहीं किया शाहिद कपूर को लॉन्च?
पंकज कपूर का जन्मदिन: बेटे को लॉन्च न करने का निर्णय
Pankaj Kapur Birthday: प्रसिद्ध अभिनेता पंकज कपूर ने अपने बेटे शाहिद कपूर को बॉलीवुड में लॉन्च न करने का निर्णय क्यों लिया, यह सवाल सभी के मन में है। हाल ही में एक मीडिया बातचीत में, पंकज ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए। अपनी नई फिल्म 'बिन्नी और फैमिली' के प्रमोशन के दौरान उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को अपनी राह खुद बनानी चाहिए।
पंकज कपूर का दृष्टिकोण
पंकज कपूर ने स्पष्ट किया कि वह परिवार के किसी सदस्य को फिल्म इंडस्ट्री में लॉन्च करने के विचार में विश्वास नहीं रखते। शाहिद के करियर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं ऐसा नहीं मानता। हर इंसान को अपनी यात्रा खुद तय करनी चाहिए। मेरे पिता ने मुझे यही सिखाया।' उन्होंने बताया कि उनके पिता ने उन्हें सुझाव लेने की स्वतंत्रता दी, लेकिन निर्णय खुद करने को कहा। 'पहला कदम आपको खुद उठाना होगा। अगर आप लड़खड़ाते हैं, तो सीखेंगे कि कैसे उठना और चलना है।'
शाहिद को मार्गदर्शन देने का पंकज का तरीका
पंकज ने कभी शाहिद को सीधे लॉन्च नहीं किया, लेकिन हमेशा उनके मार्गदर्शक बने रहे। उन्होंने कहा, 'आपको अपनी सफलता की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। इससे आत्मविश्वास मिलता है, जो जिंदगी भर साथ रहता है।' उनका मानना है कि अगर कोई और आपकी मदद करता है, तो आप हमेशा दूसरों पर निर्भर रहेंगे। 'चाहे वह पिता हों, निर्माता हों या कोई प्रोडक्शन हाउस, आपको खुद पर भरोसा करना होगा।'
शाहिद कपूर की सफलता का सफर
पंकज ने बताया कि अगर शाहिद आज सफल हैं, तो यह उनकी मेहनत, ईमानदारी और प्रतिभा का परिणाम है। 'उन्हें यह कहने की जरूरत नहीं कि 'पिताजी ने मेरे लिए यह किया।' उनकी सफलता उनकी अपनी है।' पंकज का मानना है कि आत्मनिर्भरता से इंसान मजबूत बनता है और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है।
शाहिद कपूर का करियर
शाहिद कपूर ने 2003 में फिल्म 'इश्क विश्क' से बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद 'जब वी मेट', 'कमीने', 'हैदर' और 'उड़ता पंजाब' जैसी सफल फिल्मों से उन्होंने अपनी पहचान बनाई। शाहिद की मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें इंडस्ट्री में एक खास स्थान दिलाया। पंकज कपूर का यह दृष्टिकोण न केवल उनके बेटे शाहिद के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने दम पर कुछ करना चाहता है। उनकी बातें बताती हैं कि मेहनत और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी हैं। यह सोच नई पीढ़ी को अपनी राह खुद चुनने की प्रेरणा देती है।