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पंजाब सरकार ने किसानों के हित में लैंड पूलिंग नीति वापस ली

पंजाब सरकार ने किसानों के हित में लैंड पूलिंग नीति को वापस लेने का निर्णय लिया है। मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने कहा कि यह कदम किसानों की संतुष्टि को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार का मानना है कि विकास तभी सार्थक है जब किसान खुश हों। इस निर्णय के पीछे एक स्पष्ट संदेश है कि पंजाब के किसान की भूमि और मेहनत पूरी तरह सुरक्षित है। जानें इस निर्णय के महत्व और इसके पीछे की सोच के बारे में।
 

किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए लिया गया निर्णय


किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए लैंड पूलिंग नीति वापस ली


चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग नीति को वापस लेने का निर्णय लिया है। आवास निर्माण, शहरी विकास और राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में राज्य सरकार हमेशा से किसानों के हित में काम कर रही है।


किसानों के कर्ज माफी, फसलों के लिए उचित मूल्य की मांग, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और बिजली बिलों में राहत जैसे कदम उठाए गए हैं। मुंडियां ने बताया कि लैंड पूलिंग नीति 2025 का उद्देश्य किसानों को विकास में भागीदार बनाना और उनकी भूमि की कीमत बढ़ाना था।


सरकार ने किसानों की राय को प्राथमिकता दी

मुंडियां ने कहा कि पंजाब सरकार का मानना है कि विकास तभी सार्थक है जब किसान संतुष्ट हों। यदि किसी नीति पर किसानों की असहमति है, तो उसे लागू करना जनहित और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। इसी कारण सरकार ने किसानों की राय को महत्व देते हुए लैंड पूलिंग नीति को वापस लेने का निर्णय लिया है।


कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह कदम दर्शाता है कि पंजाब सरकार किसानों को केवल वोट देने वाले नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा मानती है। जब परिवार का कोई सदस्य असंतुष्ट हो, तो उसकी बात सुनकर निर्णय बदलना ही संवेदनशील नेतृत्व की पहचान है।


आज सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह जिद की राजनीति नहीं करती, बल्कि भरोसे और भागीदारी की राजनीति करती है। मुंडियां ने कहा कि इस निर्णय का स्पष्ट संदेश है — पंजाब का हर किसान निश्चिंत रहे कि उसकी भूमि, उसका अधिकार और उसकी मेहनत की कमाई पूरी तरह सुरक्षित है।