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परेश रावल की फिल्म 'द ताज स्टोरी' का पोस्टर विवाद: धार्मिक भावनाओं को ठेस?

परेश रावल की आगामी फिल्म 'द ताज स्टोरी' का मोशन पोस्टर विवादों में घिर गया है। पोस्टर में ताजमहल के गुंबद को हटाते हुए भगवान शिव की मूर्ति दिखाई गई है, जिससे सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। यूजर्स ने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला करार दिया है। फिल्म के मेकर्स ने विवाद को सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन दर्शकों का गुस्सा कम नहीं हो रहा। जानिए इस विवाद के पीछे की कहानी और फिल्म की रिलीज की तारीख।
 

फिल्म 'द ताज स्टोरी' का विवादास्पद पोस्टर

फिल्म 'द ताज स्टोरी' का विवाद: बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता परेश रावल इन दिनों अपनी नई फिल्म 'द ताज स्टोरी' के कारण चर्चा में हैं। लेकिन यह चर्चा किसी सकारात्मक प्रमोशन के लिए नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर उठे विवाद के कारण है। सोमवार को रावल ने फिल्म का मोशन पोस्टर जारी किया, जिसमें वे ताजमहल के गुंबद को हटाते हुए दिखाई दे रहे हैं, और गुंबद के नीचे भगवान शिव की मूर्ति प्रकट होती है। इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, जहां यूजर्स ने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया और मेकर्स पर पुरानी विवादास्पद थ्योरी को फिर से जीवित करने का आरोप लगाया।


ताजमहल, जिसे मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था, हमेशा से विवादों का केंद्र रहा है। कुछ लोग यह दावा करते हैं कि यह एक हिंदू मंदिर पर निर्मित है। इसी थ्योरी को पोस्टर के माध्यम से फिर से उभारा गया है। ट्विटर पर #BoycottTajStory जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। एक यूजर ने लिखा, 'ताजमहल प्रेम का प्रतीक है, इसे धार्मिक विवाद में घसीटना गलत है। परेश रावल जी, इतिहास को न बदलें।' वहीं एक अन्य ने कहा, 'यह प्रोपगैंडा है, इसे बैन किया जाना चाहिए।'




विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्टर केवल सनसनी फैलाने के लिए बनाया गया है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की गरिमा को नुकसान पहुंचा रहा है। विवाद बढ़ने पर, परेश रावल ने तुरंत पोस्ट को हटा दिया और एक स्पष्टीकरण साझा किया। उन्होंने कहा, 'फिल्म किसी धार्मिक मुद्दे से संबंधित नहीं है। हम दर्शकों से अनुरोध करते हैं कि वे फिल्म देखें और अपनी राय बनाएं।' मेकर्स ने भी एक बयान जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि 'द ताज स्टोरी' ताजमहल में शिव मंदिर होने का दावा नहीं करती, बल्कि यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित एक सामाजिक नाटक है।




निर्देशक तुषार अमरीश गोयल की यह फिल्म 31 अक्टूबर 2025 को रिलीज होने वाली है। इसमें जाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ और नमित दास भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। प्रोडक्शन स्वर्णिम ग्लोबल सर्विसेज और सीए सुरेश झा द्वारा किया गया है। फिल्म का टीजर पहले ही जारी किया जा चुका है, जिसमें रावल एक कोर्टरूम सीन में 'इंटेलेक्चुअल टेररिज्म' पर बोलते हुए नजर आ रहे हैं। मेकर्स का दावा है कि यह आजादी के 79 साल बाद भी बौद्धिक गुलामी पर सवाल उठाती है। लेकिन पोस्टर विवाद ने हंगामा मचा दिया है, और सफाई के बावजूद यूजर्स का गुस्सा कम नहीं हो रहा।