पूनम पांडे को लव कुश रामलीला में मंदोदरी का किरदार नहीं निभाने दिया गया
पूनम पांडे का किरदार बदलने का निर्णय
नई दिल्ली - दिल्ली में आयोजित हो रही लव कुश रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका सौंपी गई थी। हालांकि, उनके इस किरदार को लेकर संत समाज ने शुरू से ही विरोध जताया। देशभर से उठ रहे विरोध के चलते लव कुश रामलीला समिति ने यह निर्णय लिया है कि पूनम पांडे अब यह भूमिका नहीं निभाएंगी। यह किरदार अब किसी अन्य कलाकार को सौंपा जाएगा। मंगलवार को समिति ने इस संबंध में एक आधिकारिक बयान जारी किया।
समिति ने एक पत्र के माध्यम से बताया कि विभिन्न सामाजिक वर्गों से मिली आपत्तियों के बाद यह निर्णय लिया गया है। समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार और महासचिव सुभाष गोयल ने कहा कि पूनम पांडे ने समिति के आमंत्रण पर मंदोदरी का किरदार निभाने के लिए सहमति दी थी। लेकिन उनके नाम की घोषणा के बाद कई संस्थानों और वर्गों से आपत्तियां आईं, जिससे रामलीला के उद्देश्य - प्रभु श्रीराम का संदेश समाज तक पहुंचाना - में बाधा उत्पन्न हो रही थी। गहन विचार-विमर्श के बाद समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि इस वर्ष मंदोदरी का किरदार किसी अन्य कलाकार को सौंपा जाएगा।
समिति ने पूनम पांडे के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि वह इस निर्णय को समझेंगी। इससे पहले, मंगलवार को इंदौर में महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा ने भी कड़ा बयान देते हुए कहा कि पूनम पांडे इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मंदोदरी का चरित्र आदर्श और मर्यादा का प्रतीक है, जबकि पूनम पांडे की छवि उस पवित्रता के अनुरूप नहीं है। कंप्यूटर बाबा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'पूनम पांडे मंदोदरी के लायक नहीं हैं, वह तो शूर्पणखा के किरदार के लिए उपयुक्त लगती हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'रामलीला में पात्रों का चयन उनकी छवि और व्यक्तित्व के अनुसार किया जाना चाहिए। यदि पात्रों का चयन उनकी छवि के विपरीत किया जाएगा तो धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।'
बाबा ने आयोजकों से मांग की थी कि पूनम पांडे को मंदोदरी की जगह कोई अन्य भूमिका दी जाए, ताकि श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि समय रहते इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो संत समाज व्यापक स्तर पर विरोध करेगा। संत समाज का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में पात्रों का चयन सोच-समझकर होना चाहिए, क्योंकि रामलीला केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आस्था और आदर्शों का मंचन है।