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बांस की खेती में 50% सब्सिडी, छोटे किसानों के लिए लाभकारी योजना

बिहार के सहरसा जिले में बांस की खेती को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार ने 50% सब्सिडी योजना की घोषणा की है। यह पहल छोटे और मझोले किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। किसानों को कुल लागत का आधा हिस्सा अनुदान के रूप में मिलेगा, जिससे वे अपनी खेती की योजना को बेहतर तरीके से बना सकें। बांस की खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जानें इस योजना के बारे में और कैसे आप इसका लाभ उठा सकते हैं।
 

बिहार में बांस की खेती का नया अध्याय

Krishi News: बांस की खेती, सरकार दे रही 50% सब्सिडी, कम भूमि में अधिक लाभ: बिहार के सहरसा जिले में 17 साल बाद बांस की खेती फिर से शुरू की जा रही है। इस योजना के तहत कुल 19 हेक्टेयर भूमि पर बांस उगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह पहल राज्य सरकार द्वारा छोटे और मझोले किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।


(बांस की खेती पर सब्सिडी) के अंतर्गत किसानों को कुल लागत का 50% अनुदान प्रदान किया जाएगा। यह राशि तीन किस्तों में दी जाएगी, जिससे किसान अपनी खेती की योजना को बेहतर तरीके से बना सकें। सरकार ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द आवेदन करें और इस योजना का पूरा लाभ उठाएं।


कम लागत में अधिक मुनाफा, छोटे किसानों के लिए वरदान Krishi News


जिला उद्यान विभाग के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार के अनुसार, (बांस की खेती का लाभ) छोटे किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी है। बांस एक ऐसा पौधा है जो कम संसाधनों में भी अच्छा उत्पादन देता है और लंबे समय तक भूमि की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखता है।


बांस की मांग निरंतर बढ़ रही है, विशेषकर उद्योगों में इसे कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। इससे किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिलता है। (bamboo farming profit) के कारण यह खेती अब व्यवसायिक दृष्टि से भी आकर्षक बनती जा रही है।


पर्यावरण संरक्षण में बांस की भूमिका


(बांस की खेती की जानकारी) केवल आर्थिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। बांस की जड़ें मिट्टी को बांधकर कटाव को रोकती हैं। यह वातावरण को शुद्ध करती हैं और स्थानीय जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं।


(bamboo farming environment) को ध्यान में रखते हुए सरकार इस योजना को गंभीरता से लागू कर रही है। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे ऐसी खेती अपनाएं जो न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाए, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखे।