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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की प्रचंड जीत और मोदी का प्रभाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने शानदार जीत हासिल की है, जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नेतृत्व में गठबंधन ने 202 सीटों पर विजय प्राप्त की। इस जीत ने मोदी के नेतृत्व की प्रभावशीलता को फिर से साबित किया है। राहुल गांधी का चुनावी अभियान विफल रहा, जिससे कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है। जानें इस चुनाव के राजनीतिक मायने और आगामी चुनावों पर इसके प्रभाव।
 

बिहार चुनाव में एनडीए की जीत


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने शानदार जीत हासिल की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में चुनाव से पहले जो नैरेटिव तैयार किया गया था, वह चुनाव परिणामों में नजर नहीं आया। नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए के सभी पांच दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा और 202 सीटों पर विजय प्राप्त की। इस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि जेडीयू दूसरे स्थान पर रही। बिहार चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की पुष्टि की है, यह दर्शाते हुए कि 'मोदी मैजिक' अभी भी सक्रिय है। इन नतीजों के स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव हैं।


हालांकि, लोकसभा में बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा, लेकिन बिहार चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 89 सीटों पर जीत हासिल की। बिहार चुनाव 2025 के परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कमजोर प्रदर्शन अब अतीत की बात बन गया है। हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद, बिहार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए को एक विशाल जनादेश दिया है।


बिहार के चुनाव परिणामों ने राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की ब्रांडिंग को मजबूती प्रदान की है, जो आगामी विधानसभा चुनावों, विशेषकर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बीजेपी की स्थिति को और मजबूत करेगा। यह जीत यह साबित करती है कि मोदी का नेतृत्व और चुनावी रणनीति अभी भी प्रभावी हैं।


राहुल गांधी ने बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के मुद्दे को उठाया था, लेकिन इससे कांग्रेस को कोई लाभ नहीं हुआ। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब SIR को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया जा सकता है, जिससे राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं, जो कांग्रेस के लिए एक और बड़ी हार का कारण बनता है।


I.N.D.I.A. गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति कमजोर


राहुल गांधी का प्रचार अभियान बिहार चुनाव में पूरी तरह से विफल रहा। कांग्रेस ने 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 6 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस का यह निराशाजनक प्रदर्शन विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन में पार्टी की स्थिति को और कमजोर करता है। अब राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन की बातचीत में कांग्रेस मोलभाव करने की स्थिति में नहीं रहेगी।


गठबंधन का सही प्रबंधन जीत दिलाता है


बीजेपी ने यह साबित कर दिया है कि गठबंधन की राजनीति बिना उचित प्रबंधन के सफल नहीं हो सकती। चुनाव से पहले, बीजेपी ने नीतीश कुमार को मनाया और चिराग पासवान को भी गठबंधन से दूर नहीं जाने दिया। नीतीश और चिराग के बीच की कड़वाहट को दूर करने में भी बीजेपी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके परिणामस्वरूप LJP (रामविलास) के साथ सीट बंटवारे में भी बीजेपी ने उदारता दिखाई। चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों ने एक-दूसरे के लिए प्रचार किया और अपने वोट भी ट्रांसफर किए।


महिला मतदाता एनडीए के लिए निर्णायक साबित हुईं


महिला मतदाता, जो लगातार एक महत्वपूर्ण वर्ग बनती जा रही हैं, ने एक बार फिर निर्णायक भूमिका निभाई, जैसा कि महाराष्ट्र में हुआ था। अब पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में पार्टियां महिला वोटरों को साधने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा करेंगी।


नीतीश कुमार को धन्यवाद


एनडीए की 200 से अधिक सीटें नीतीश कुमार को 'धन्यवाद' भी हैं, जो राज्य के पसंदीदा नेता के लिए एक बड़ी जीत है।