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बेंगलुरु भगदड़ मामले में सुरक्षा चूक का खुलासा

बेंगलुरु में आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत के बाद सुरक्षा चूक का मामला सामने आया है। डीसीपी एम. एन. करिबासावन गौड़ा ने पहले ही सरकार को चेतावनी दी थी, लेकिन सुरक्षा उपायों की अनदेखी की गई। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और सरकार की भूमिका के बारे में।
 

बेंगलुरु भगदड़ की घटना का अपडेट

बेंगलुरु भगदड़ मामले का अपडेट: आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरु में हुई भगदड़ में 11 लोगों की जान जाने के बाद एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। यह घटना अत्यंत दुखद थी। Vidhana Soudha के डीसीपी एम. एन. करिबासावन गौड़ा ने पहले ही राज्य सरकार को संभावित खतरों के बारे में चेतावनी दी थी। उन्होंने 4 जून 2025 को प्रशासनिक सुधार विभाग (DPAR) को एक पत्र में सुरक्षा से संबंधित 10 बिंदुओं को उजागर किया था।


गौड़ा ने पत्र में उल्लेख किया था कि इस तरह के बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध नहीं है और Vidhana Soudha जैसे संवेदनशील स्थान पर लाखों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करना कठिन होगा। पत्र में CCTV कवरेज की कमी, ड्रोन के उपयोग पर प्रतिबंध, और स्टेज पर सीमित लोगों की अनुमति जैसे निर्देश भी शामिल थे। उन्होंने कहा था कि 'विधान सौध पर लाखों क्रिकेट प्रशंसकों के आने की संभावना है', जो एक बड़ा आयोजन हो सकता था। सुरक्षा बल की कमी के कारण व्यवस्था करना चुनौतीपूर्ण होगा।


सरकार ने चेतावनी को क्यों नजरअंदाज किया?

सूत्रों के अनुसार, पुलिस विभाग द्वारा भेजी गई यह रिपोर्ट बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस आयुक्त बी. दयानंद और मुख्य सचिव शालिनी रजनीश तक पहुंचाई गई थी, फिर भी इवेंट को अनुमति दी गई। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच कथित सत्ता संघर्ष के कारण निर्णय जल्दबाजी में लिया गया और भीड़ नियंत्रण के उपायों की अनदेखी की गई।


अनदेखी के उदाहरण: हर नियम का उल्लंघन

पुलिस ने विभागीय स्टाफ और उनके परिवारों को कार्यक्रम में न आने की सलाह दी थी, फिर भी वे वहां मौजूद थे। CCTV की व्यवस्था नहीं की गई, ड्रोन के उपयोग पर प्रतिबंध के बावजूद उनका उपयोग किया गया, और स्टेज पर जहां 30 लोगों की अनुमति थी, वहां 200 लोग उपस्थित थे।