बॉलीवुड में भाई-बहन की जोड़ी: मनीषा और सिद्धार्थ कोइराला की कहानी
मनीषा और सिद्धार्थ कोइराला का सफर
बॉलीवुड के इतिहास में यह देखा गया है कि जब भाई-बहन की जोड़ी फिल्म इंडस्ट्री में आती है, तो अक्सर उनमें से केवल एक को ही असली सफलता मिलती है। हालांकि कुछ अपवाद भी हैं, लेकिन आमतौर पर यही देखने को मिलता है कि या तो भाई का करियर चमकता है या बहन का। इस संदर्भ में मनीषा और सिद्धार्थ कोइराला का नाम उल्लेखनीय है। मनीषा ने 90 के दशक में बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्रियों में अपनी जगह बनाई, जबकि उनके भाई सिद्धार्थ का करियर केवल 5 फिल्मों के बाद समाप्त हो गया।मनीषा कोइराला ने अपने करियर की शुरुआत नेपाली फिल्म 'फेरी भेटौला' से की थी, लेकिन उन्हें असली पहचान 1991 की हिट फिल्म 'सौदागर' से मिली, जिसे सुभाष घई ने निर्देशित किया था। इसके बाद उन्होंने 'बॉम्बे', 'खामोशी', 'गुप्त', और 'दिल से' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया।
सिद्धार्थ कोइराला ने मनीषा की सफलता से प्रेरित होकर फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। उन्होंने निर्माता के रूप में 'पैसा वसूल' फिल्म बनाई और स्क्रिप्ट राइटिंग में भी हाथ आजमाया। 2005 में उन्होंने 'मज़ा: कभी-कभी खतरनाक भी हो सकता है' से अभिनय की शुरुआत की, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। इसके बाद उन्होंने 'अनवर' में काम किया, जिसमें उनके अभिनय की सराहना हुई।
हालांकि, सिद्धार्थ कोइराला ने बाद में फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली। उनका इंस्टाग्राम अकाउंट प्राइवेट है और वह मीडिया में कम ही नजर आते हैं। मनीषा कोइराला अपने भाई को याद करते हुए सोशल मीडिया पर उनके साथ तस्वीरें साझा करती हैं। हाल ही में सिद्धार्थ के जन्मदिन पर मनीषा ने उनके साथ कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसमें उनका नया लुक दिखा।