भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की चुनौतियाँ
भारत और अमेरिका के व्यापार समझौते की स्थिति
भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। दोनों देश 9 जुलाई 2025 से पहले इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि इस तिथि के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय निर्यात पर 26% तक का भारी टैरिफ लगा सकते हैं। हालांकि, इस समझौते में सबसे बड़ी बाधा कृषि और डेयरी उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ में छूट की मांग है, जिसे भारत ने स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया है। तो, भारत के लिए कृषि और डेयरी आयात इतना संवेदनशील क्यों है? आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।
कृषि का महत्व और किसानों की स्थिति
भारत की 3.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान भले ही 16% हो, लेकिन यह क्षेत्र देश की 140 करोड़ जनसंख्या के लगभग आधे हिस्से की आजीविका का आधार है। लगभग 70 करोड़ लोग अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। इसके अलावा, डेयरी क्षेत्र भी भारत में 80 मिलियन से अधिक लोगों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को रोजगार प्रदान करता है। यह क्षेत्र न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी संवेदनशील है। भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, और अमूल जैसे सहकारी संगठन इस क्षेत्र की रीढ़ हैं।
किसानों का राजनीतिक प्रभाव
भारतीय किसान न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं। चार साल पहले, 2020-21 में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन ने नरेंद्र मोदी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर किया था। यह आंदोलन दर्शाता है कि किसानों के हितों को नजरअंदाज करना किसी भी सरकार के लिए राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में सरकार किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों को प्राथमिकता दे रही है।
आर्थिक और सांस्कृतिक चिंताएँ
भारत ने हमेशा अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षित रखा है, क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका और छोटे किसानों के हितों से जुड़ा है। भारतीय कृषि क्षेत्र में छोटे किसानों का वर्चस्व है, जिनके पास सीमित संसाधन और कम उत्पादन क्षमता है। दूसरी ओर, अमेरिकी किसानों को प्रति किसान औसतन 61,000 डॉलर की भारी सब्सिडी मिलती है, जबकि भारतीय किसानों को केवल 282 डॉलर प्रति वर्ष मिलते हैं। अमेरिका में एक किसान के पास औसत खेत 187 हेक्टेयर है, जबकि भारत के किसान के पास केवल 1.08 हेक्टेयर खेत है।
सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दे
डेयरी और कृषि आयात के मामले में भारत की चिंताएँ केवल आर्थिक नहीं हैं। अमेरिकी डेयरी उत्पादों में पशु-आधारित फ़ीड का उपयोग भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। इसके अलावा, जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों के आयात से स्थानीय फसलों में क्रॉस-पॉलिनेशन का खतरा है, जो भारत की देशी बीज प्रजातियों और निर्यात बाजार को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत कुछ विशेष उत्पादों जैसे बादाम, अखरोट, सेब, किशमिश, और जैतून के तेल पर सीमित टैरिफ कटौती या कोटा प्रदान करने के लिए तैयार है, लेकिन चावल, गेहूं, मक्का, और डेयरी जैसे क्षेत्रों में रियायत नहीं देगा।