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भारत में सुनामी का खतरा नहीं, भूकंप की पुष्टि

भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र ने पुष्टि की है कि रूस के कमचटका तट पर आए 8.7 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत के तटों पर सुनामी का कोई खतरा नहीं है। 2004 की सुनामी की त्रासदी ने भारत को झकझोर दिया था, जिसमें लाखों लोगों की जान गई थी। जानें इस भूकंप के प्रभाव और भारत की तैयारियों के बारे में।
 

भूकंप के बाद भारत में सुनामी का कोई खतरा नहीं

भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (ITEWC) ने यह स्पष्ट किया है कि रूस के कमचटका तट पर आए 8.7 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत के तटों पर सुनामी का कोई खतरा नहीं है। ITEWC की प्री-रन मॉडलिंग के अनुसार, इस भूकंप का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नई जानकारी मिलने तक कोई और बुलेटिन जारी नहीं किया जाएगा। ITEWC, हैदराबाद के प्रगति नगर में स्थित भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) का हिस्सा है। हालांकि, इस भूकंप ने जापान और अलास्का जैसे क्षेत्रों में छोटी सुनामी लहरें उत्पन्न कीं, लेकिन भारत पूरी तरह सुरक्षित है।


2004 की सुनामी की यादें

2004 में आई सुनामी में 2,30,000 लोगों की हो गई थी मौत

26 दिसंबर 2004 को, इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पास 9.1 तीव्रता का एक भयंकर समुद्री भूकंप आया। भारतीय और बर्मा टेक्टोनिक प्लेटों के बीच 1,300 किलोमीटर लंबी फॉल्ट लाइन पर आए इस भूकंप ने 20,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा छोड़ी। लगभग दस मिनट तक चले इस भूकंप ने हिंद महासागर में जेट जैसी गति से लहरें उत्पन्न कीं। मात्र 90 मिनट में, विशाल सुनामी लहरें तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, पुदुचेरी और अंडमान-निकोबार जैसे भारतीय तटीय क्षेत्रों तक पहुंच गईं। कुछ क्षेत्रों में 30 मीटर ऊंची लहरों ने तटीय समुदायों को बिना किसी चेतावनी के तबाह कर दिया।


तमिलनाडु, केरल और अंडमान-निकोबार में विनाश

तमिलनाडु, केरल और अंडमान-निकोबार में विनाश ही विनाश

तमिलनाडु के नागपट्टिनम में मिनटों में हजारों लोग काल के गाल में समा गए। मछुआरों के गांव पूरी तरह नष्ट हो गए। केरल के कोल्लम, अलप्पुझा और एर्नाकुलम जैसे निचले क्षेत्र जलमग्न हो गए। अलप्पद गांव में 130 से अधिक लोग मारे गए। समुद्र पहले रहस्यमयी ढंग से पीछे हटा और फिर विनाशकारी बल के साथ लौटा। अंडमान-निकोबार में तत्काल तबाही मची। संचार लाइनें टूट गईं, गांव पानी में डूब गए, और कार निकोबार वायुसेना अड्डा मलबे में बदल गया।


जान-माल का भारी नुकसान

जान-माल का भारी नुकसान

भारत में 10,000 से अधिक लोगों की मौत हुई, और वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। सुनामी ने मछुआरों के समुदायों को बेघर कर दिया, जिनकी आजीविका समुद्र पर निर्भर थी। वैश्विक स्तर पर 2.3 लाख से अधिक लोगों की जान गई, जिसमें इंडोनेशिया का आचे प्रांत सबसे अधिक प्रभावित रहा।


बदलाव का उत्प्रेरक

बदलाव का उत्प्रेरक

2004 की त्रासदी ने भारत को झकझोर दिया। इसके बाद सरकार ने राजीव गांधी पुनर्वास पैकेज शुरू किया, जिसमें पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा, बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण और रोजगार योजनाएं शामिल थीं। 2007 में INCOIS द्वारा सुनामी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना के कारण आज भारत ऐसी आपद से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।