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मनीष मल्होत्रा: सिनेमा से फैशन डिजाइनिंग तक का सफर

मनीष मल्होत्रा, एक प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर, ने सिनेमा के प्रति अपने गहरे प्रेम और फिल्म निर्माता बनने की यात्रा के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने बताया कि कैसे बचपन से ही फिल्मों ने उन्हें प्रेरित किया और कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में करियर बनाने की दिशा में अग्रसर किया। उनकी पहली फिल्म "गुस्ताख इश्क: कुछ पहले जैसा" की रिलीज का इंतजार कर रहे मल्होत्रा ने अपने बचपन की यादों को साझा किया और बताया कि कैसे उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की।
 

फैशन डिजाइनिंग से फिल्म निर्माण की ओर

प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा ने बताया कि सिनेमा हमेशा से उनके लिए एक विशेष स्थान रखता है, जिसने उन्हें कॉस्ट्यूम डिजाइनर बनने की प्रेरणा दी और अब वे फिल्म निर्माता बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।


मल्होत्रा अपनी पहली फिल्म "गुस्ताख इश्क: कुछ पहले जैसा" की रिलीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।


उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण की ओर बढ़ना उनके बचपन के सपने के सच होने जैसा है, जिसे उन्होंने केवल छह साल की उम्र में सिनेमा के प्रति अपने प्यार के दौरान देखा था।


बचपन की यादें और सिनेमा का प्यार

मल्होत्रा ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा, "मैं हमेशा से फिल्मों का दीवाना रहा हूं। छह साल की उम्र से ही मुझे सिनेमा का बहुत शौक था। पढ़ाई की तुलना में मेरा झुकाव हमेशा फिल्मों की ओर रहा। मैं अपनी मां का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे कभी भी इस दिशा में रोकने की कोशिश नहीं की। मैं ढेर सारी फिल्में देखता था, उनके गाने, परिधान और जीवनशैली मुझे बहुत आकर्षित करते थे।"


फिल्मों ने दिया प्रेरणा का स्रोत

उन्होंने याद करते हुए कहा, "जब मैंने 'नसीब' देखी, तो थिएटर में बैठकर सोच रहा था कि क्या मैं कभी ऐसी पार्टी में जा पाऊंगा? इस फिल्म में अमिताभ बच्चन का गाना 'जॉन जानी जनार्दन' मुझे बहुत पसंद आया। 1981 में यश चोपड़ा की 'सिलसिला' देखने के बाद, मैंने फिल्म की हर छोटी-छोटी बात पर ध्यान दिया। वहीं से मेरे कपड़ों के प्रति प्यार बढ़ा और मैंने कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में करियर बनाने का निर्णय लिया।"


बॉलीवुड में करियर की शुरुआत

मल्होत्रा ने 1990 के दशक की शुरुआत में कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। जल्द ही, वे बॉलीवुड के सबसे पसंदीदा स्टाइलिस्ट बन गए। उन्हें 'रंगीला', 'दिल तो पागल है', 'कुछ कुछ होता है' और 'कभी खुशी कभी ग़म' जैसी फिल्मों में फैशन को नया रूप देने के लिए सराहा गया।