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मन्नू क्या करेगा: एक साधारण कहानी में गहराई

"मन्नू क्या करेगा" एक साधारण लेकिन गहरी फिल्म है जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। यह कहानी एक आम इंसान की है, जो अपनी पहचान की खोज में है। फिल्म का निर्देशन संतुलित है और संगीत इसकी आत्मा है। जानें इस फिल्म के बारे में और क्या खास है।
 

साधारणता में छिपी गहराई

आजकल दर्शकों की रुचि केवल मसालेदार मनोरंजन में नहीं है। कभी-कभी, एक साधारण और सच्ची कहानी, बिना किसी तड़क-भड़क के, दर्शकों के दिलों में गहराई से बस जाती है। "मन्नू क्या करेगा" ऐसी ही एक फिल्म है — जो चुपचाप आती है, धीरे-धीरे दिल में उतरती है और एक कोना हमेशा के लिए घेर लेती है।


कहानी का सार

यह कोई पारंपरिक फिल्म नहीं है। इसमें न कोई सुपरहीरो है, न बड़ा विलेन। यह कहानी है हम जैसे आम इंसान की — जिनकी ज़िंदगी में कई सवाल हैं, लेकिन जवाब धीरे-धीरे मिलते हैं। शायद यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है।


मन्नू की यात्रा

देहरादून में बसी यह कहानी मानव चतुर्वेदी उर्फ मन्नू (व्योम यादव) की है — एक ऐसा लड़का जो बाहर से खुशमिजाज़ और बेफिक्र दिखता है, लेकिन अंदर से उलझा हुआ है। कॉलेज में लोकप्रिय, मन्नू की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसे नहीं पता कि ज़िंदगी से उसे क्या चाहिए।


जिया से मुलाकात

फिर उसकी मुलाकात जिया (साची बिंद्रा) से होती है — जो आत्मनिर्भर और ज़िंदगी से भरी हुई है। उनकी दोस्ती, फिर मोहब्बत, और मन्नू की अपनी पहचान की खोज — यही फिल्म की आत्मा है।


निर्देशन और अभिनय

संजय त्रिपाठी का निर्देशन संतुलित और ईमानदार है। उन्होंने कहानी को बिना किसी ओवरडोज इमोशन के पेश किया है। कई दृश्य बिना संवादों के भी बहुत कुछ कह जाते हैं। खासकर मन्नू की चुप्पियाँ और उसकी सोचती हुई आंखें दर्शकों को छू जाती हैं।


व्योम यादव ने अपने डेब्यू में मन्नू का किरदार निभाते हुए अद्भुत परिपक्वता दिखाई है। उनकी मासूमियत और आत्मिक परिवर्तन को उन्होंने सच्चाई से जिया है। साची बिंद्रा ने जिया के किरदार को ताजगी और आत्मबल के साथ निभाया है।


संगीत और सिनेमैटोग्राफी

फिल्म का संगीत इसकी आत्मा है। नौ गानों की एल्बम में कोई भी गाना 'फिलर' नहीं लगता। बैकग्राउंड स्कोर हर सीन को सपोर्ट करता है। देहरादून की वादियाँ और पहाड़ियों का शांत वातावरण फिल्म की सिनेमैटोग्राफी को खूबसूरत बनाते हैं।


एक अनुभव

क्यूरियस ऑय फिल्म्स द्वारा निर्मित "मन्नू क्या करेगा" एक ऐसी फिल्म है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है — क्या हम सब कभी ना कभी मन्नू की तरह उलझे नहीं रहते? यह एक भावनात्मक, प्रेरणादायक और व्यक्तिगत अनुभव है। इसे अकेले या परिवार के साथ देखना चाहिए।


फिल्म की जानकारी

निर्देशक: संजय त्रिपाठी


कलाकार: व्योम यादव, साची बिंद्रा, कुमुद मिश्रा, विनय पाठक, चारु शंकर, राजेश कुमार, बृजेंद्र काला


लेखक: सौरभ गुप्ता, राधिका मल्होत्रा


अवधि: 141.35 मिनट


रेटिंग: (4/5)