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ममता बनर्जी का भाषा विवाद पर कड़ा बयान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कोलकाता में एक जनसभा में भाषा विवाद पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बंगाली भाषा के प्रति नफरत को अस्वीकार्य बताया और चेतावनी दी कि यदि इसे दबाने का प्रयास किया गया, तो तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध करेगी। ममता ने बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर और स्वतंत्रता संग्राम में उसकी भूमिका को भी याद किया। इस बीच, महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर भी विवाद बढ़ रहा है।
 

ममता बनर्जी का बयान

ममता बनर्जी का बयान: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश में चल रहे भाषा विवाद पर अपनी राय रखी है। 21 जुलाई, 2025 को कोलकाता में आयोजित एक जनसभा में उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बंगाली भाषा में बात करना गुनाह है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्यों लोगों को रोका जाता है? ममता ने चेतावनी दी कि यदि बिहार की तरह बंगाल में भी बंगाली भाषा को दबाने का प्रयास किया गया, तो तृणमूल कांग्रेस इसका कड़ा विरोध करेगी।


बंगाली भाषा का सम्मान

ममता ने आगे कहा कि, "हम घेराव करेंगे, हम वोट नहीं कटने देंगे।" उन्होंने बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर का भी उल्लेख किया, यह बताते हुए कि बंगाल ने रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान व्यक्तित्व को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गीतों 'जन गण मन' और 'वंदे मातरम' की उत्पत्ति भी यहीं हुई। ममता ने सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करने की बात की, लेकिन बंगाली भाषा के प्रति नफरत को अस्वीकार्य बताया।


स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल की भूमिका

सीएम ने स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल के योगदान को याद करते हुए कहा, "बंगालियों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हमारी भाषा हमारी पहचान है और इसे दबाने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"


मराठी भाषा विवाद

वहीं, महाराष्ट्र में भी भाषा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मराठी भाषा को लेकर लोगों में गुस्सा है, और उनका मानना है कि हिंदी या अन्य भाषाओं को थोपना संविधान की भावना के खिलाफ है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की पार्टियाँ इस मुद्दे को और बढ़ा रही हैं, जिससे भाजपा की चिंता भी बढ़ गई है।