रक्षाबंधन 2025: भाई-बहन के रिश्ते की अनोखी कहानियाँ
रक्षाबंधन 2025: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक
रक्षाबंधन 2025: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त 2025, शनिवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं। इस पवित्र पर्व के लिए हर साल शुभ मुहूर्त का इंतज़ार किया जाता है।
इस बार राखी बांधने का शुभ समय सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। यानी कुल 7 घंटे 37 मिनट तक राखी बांधना बेहद शुभ माना जाएगा। खास बात यह है कि इस दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे दिनभर शुभता बनी रहेगी। आइए जानते हैं चार ऐसी दिव्य और ऐतिहासिक कथाएं, जो रक्षाबंधन के असली मायने उजागर करती हैं।
कृष्ण और द्रौपदी: प्रेम का वचन और लाज की रक्षा
महाभारत में शिशुपाल वध के समय श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहने लगा। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। यह धागा केवल कपड़ा नहीं, बल्कि रक्षा और स्नेह का वचन था। बाद में, चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने उसी वचन का पालन करते हुए द्रौपदी की लाज बचाई। यह कथा राखी की सबसे मार्मिक मिसाल मानी जाती है।
इंद्र और इंद्राणी: युद्ध के बीच रक्षा का संकल्प
एक बार देवराज इंद्र असुरों के विरुद्ध युद्ध में हार की कगार पर थे। उनकी पत्नी इंद्राणी ने मंत्रों से अभिमंत्रित एक धागा श्रावण पूर्णिमा के दिन उनकी कलाई पर बांधा। इस रक्षा-सूत्र की शक्ति से इंद्र ने विजय पाई। यह घटना दर्शाती है कि राखी का रिश्ता केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस संबंध में हो सकता है, जहां विश्वास और सुरक्षा का वचन हो।
वामन, बलि और लक्ष्मी: प्रेम का अद्भुत बंधन
भगवान विष्णु के वामन अवतार में, राजा बलि ने तीन पग भूमि देने के वचन के बाद स्वर्गलोक तक अर्पित कर दिया। तब लक्ष्मी माता ब्राह्मण स्त्री के रूप में बलि के पास गईं और उन्हें राखी बांधी। बदले में बलि ने उनसे वर मांगा कि विष्णु सदा उनके साथ रहें। यह कथा दर्शाती है कि राखी परमात्मा और भक्त को भी एक पवित्र बंधन में बांध सकती है।
यम और यमुना: अमरता का आशीर्वाद
यमराज वर्षों बाद अपनी बहन यमुना से मिलने आए। यमुना ने प्रेमपूर्वक उन्हें भोजन कराया और राखी बांधी। प्रसन्न होकर यमराज ने वर दिया कि जो भाई अपनी बहन से प्रेमपूर्वक राखी बंधवाएगा और उसकी रक्षा का संकल्प लेगा, वह दीर्घायु होगा। इसी कथा से रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट रिश्ते और आशीर्वाद का प्रतीक बन गया।