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रात में नदियों में स्नान से बचें, स्त्री स्वरूपा होती हैं नदियां: डॉ. रमनीक कृष्ण जी महाराज

चंडीगढ़ में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान डॉ. रमनीक कृष्ण जी महाराज ने बताया कि रात में नदियों में स्नान करना वर्जित है, क्योंकि नदियां स्त्री स्वरूपा होती हैं। उन्होंने राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए बताया कि कैसे नंदराय ने यमुना में स्नान किया और इसके परिणामस्वरूप उन्हें वरुण लोक भेजा गया। कथा में भगवान श्री कृष्ण ने नंद जी को वापस लाने के लिए वरुण देव की स्तुति की। इस कथा में भक्तों की बड़ी संख्या शामिल हुई और अंत में भंडारे का आयोजन किया गया।
 

श्रीमद्भागवत कथा का षष्ठम दिवस


चंडीगढ़ में श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर भगवताचार्य स्वामी डॉ. रमनीक कृष्ण जी महाराज ने बताया कि रात के समय नदियों में स्नान नहीं करना चाहिए, क्योंकि नदियां स्त्री स्वरूपा मानी जाती हैं। उन्होंने राजा परीक्षित को सुनाई गई कथा में बताया कि नंदराय ने कार्तिक शुक्ल एकादशी का उपवास रखा और भगवान नारायण की पूजा की। उसी रात द्वादशी लग गई और उन्होंने यमुना में स्नान करने का निर्णय लिया, लेकिन उन्हें यह याद नहीं रहा कि रात में स्नान करना वर्जित है।


यमुना में प्रवेश करते ही वरुण के अनुचरों ने उन्हें पकड़ लिया और वरुण लोक भेज दिया। जब नंद बाबा वापस नहीं लौटे, तो गोप-गोपियों ने श्री कृष्ण और बलराम से मदद मांगी। श्री कृष्ण ने उन्हें आश्वासन दिया और वरुण लोक पहुंचे। वरुण देव ने भगवान को देखकर प्रसन्न होकर उनकी स्तुति की और कहा कि आज मेरा जन्म सफल हो गया।


वरुण की स्तुति से श्री कृष्ण ने नंद जी को वापस लाया


वरुण देव ने कहा कि मेरे अनभिज्ञ सेवक को अनजाने में आपके पिताश्री ले आए हैं। कृपया उनके अपराध को क्षमा करें और नंद जी को वापस लाएं। वरुण की स्तुति और नम्रता से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने नंद जी को वापस लाया। नंद जी ने गोप-ग्वालों को वरुण द्वारा लाला की पूजा का वृतांत सुनाया, जिसके बाद सभी ने भगवान से प्रार्थना की कि वे भी संसारियों को अपना धाम दिखाएं। भगवान ने सभी गोप-ग्वालों को अपने धाम के दर्शन कराए। कथा के अंत में ठाकुर जी का देवी रुक्मणि के साथ विवाह हुआ, जिसमें अनेक भक्तजन शामिल हुए। कथा के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।