राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल, गड़बड़ियों के सबूत पेश किए
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप
कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आयोजित 'वार्षिक लीगल कॉन्क्लेव' में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रह गई है और उनके पास चुनावों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के पुख्ता सबूत हैं।
इस कार्यक्रम का विषय 'संवैधानिक चुनौतियां – दृष्टिकोण और रास्ते' था, जिसमें लगभग 1,500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कई वकील शामिल थे।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास अब 'पूरे देश को दिखाने लायक सबूत' हैं, जो यह दर्शाते हैं कि मतदाता सूची में व्यापक गड़बड़ी की गई है और चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध रही है।
उन्होंने कहा, 'मेरे सहयोगी पहले कहते थे कि हां, कुछ गड़बड़ी हुई है, लेकिन हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है। अब मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हमारे पास प्रमाण है।'
राहुल गांधी ने बताया कि उनकी पार्टी ने 6 महीने तक एक जांच अभियान चलाया, जिसमें चुनाव आयोग से मिली बूथवार मतदाता सूचियों का विश्लेषण किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर ऐसी मतदाता सूचियां प्रदान कीं जिन्हें स्कैन या कॉपी करना संभव नहीं था। उन्होंने सवाल उठाया, 'आखिर चुनाव आयोग मतदाता सूची को इस तरह क्यों सुरक्षित रखना चाहता है?'
राहुल गांधी ने कहा कि उनकी टीम ने 6.5 लाख मतदाताओं की तस्वीरें और नाम एक-एक कर मिलाए, जिसमें 1.5 लाख फर्जी नाम पाए गए।
उन्होंने कहा कि उन्हें 2014 से चुनावों में गड़बड़ी की आशंका थी, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की अचानक हार के बाद उन्हें शक और पुख्ता हो गया।
राहुल गांधी ने कहा, 'तीन मजबूत दल अचानक गायब हो गए। तब मुझे यकीन हुआ कि कुछ न कुछ गड़बड़ है।'
उन्होंने आगे कहा, 'हमें पहले गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में गड़बड़ी के संकेत मिले थे, लेकिन अब हमारे पास दस्तावेजी सबूत हैं।'
राहुल गांधी ने यह भी कहा, 'यह सिर्फ धांधली नहीं, बल्कि देशद्रोह है। और हम इसमें शामिल लोगों को ढूंढ निकालेंगे।'
उन्होंने कानूनी समुदाय से अपील की कि उनके द्वारा निर्मित संवैधानिक ढांचे को ध्वस्त किया जा रहा है। कुछ चीजें खुलकर हो रही हैं, तो कुछ छिपकर।
राहुल गांधी के ये बयान उस समय आए हैं जब बिहार में मतदाता सूची में अनियमितताओं और एसआईआर प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा है।