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राहुल देव: व्यक्तिगत संघर्षों के बीच चमकता सितारा

राहुल देव, जो 27 सितंबर 1968 को जन्मे, ने अपने करियर में कई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में कई व्यक्तिगत संघर्ष भी रहे हैं। उनके छोटे भाई मुकुल देव का हाल ही में निधन हुआ, और पत्नी रीना के कैंसर से जूझने के बाद उनकी भी मौत हो गई। इन दुखों के बावजूद, राहुल ने अपने बेटे की परवरिश की और मुग्धा गोडसे के साथ एक नया रिश्ता बनाया। जानें उनके करियर और जीवन की अन्य महत्वपूर्ण बातें।
 

राहुल देव का जन्मदिन और व्यक्तिगत चुनौतियाँ

27 सितंबर 1968 को जन्मे राहुल देव आज फिल्म उद्योग में एक प्रमुख नाम बन चुके हैं। हालांकि, उनके जीवन में कई व्यक्तिगत दुख भी शामिल हैं। लगभग चार महीने पहले, उनके छोटे भाई मुकुल देव का निधन हुआ, जो उनके लिए एक गहरा सदमा था। दोनों भाईयों के बीच का रिश्ता बहुत मजबूत था और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहते थे। मुकुल का निधन मई 2025 में दिल्ली के एक अस्पताल में हुआ, जहां वह लंबे समय से बीमार थे। उनके अचानक चले जाने से राहुल को गहरा दुख हुआ।


पत्नी के निधन के बाद की जिंदगी

राहुल देव के जीवन में दूसरा बड़ा झटका उनकी पत्नी रीना के निधन से आया। रीना कैंसर से जूझ रही थीं और उनकी बीमारी ने अंततः उनकी जान ले ली। पत्नी के जाने के बाद, राहुल ने अपने बेटे की परवरिश एक सिंगल पैरेंट के रूप में की। उन्होंने कई बार कहा है कि पत्नी के जाने के बाद उनकी जिंदगी आसान नहीं रही।


नए रिश्ते और आगे बढ़ने की कोशिश

पत्नी और भाई को खोने के बाद, राहुल की जिंदगी में मुग्धा गोडसे आईं। दोनों के बीच नजदीकियाँ बढ़ीं और वे एक रिश्ते में बंध गए। कहा जाता है कि राहुल और मुग्धा लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। मुग्धा राहुल से 18 साल छोटी हैं, लेकिन दोनों ने अपने रिश्ते को लेकर सहजता दिखाई है।


राहुल देव का करियर

राहुल देव ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी। उनकी लंबाई और आकर्षक व्यक्तित्व ने उन्हें फैशन इंडस्ट्री में पहचान दिलाई। इसके बाद, उन्होंने फिल्मों की ओर रुख किया और बॉलीवुड में उन्हें नकारात्मक भूमिकाओं के लिए जाना जाने लगा। 'चैंपियन', 'एलओसी कारगिल', 'एलियन', और 'असुर' जैसे कई प्रोजेक्ट्स में उनके काम की सराहना हुई। टीवी और वेब सीरीज में भी उन्होंने अपनी अदाकारी से एक अलग पहचान बनाई।


संघर्षों के बावजूद आगे बढ़ते रहना

राहुल देव की जिंदगी ने उन्हें कई बार तोड़ा, लेकिन उन्होंने हर बार खुद को संभाला और आगे बढ़ते रहे। पत्नी के निधन के बाद अकेले बेटे की परवरिश करना हो या भाई की मौत का गम सहना, उन्होंने हर परिस्थिति का मजबूती से सामना किया।