लद्दाख में पर्यटन उद्योग पर कर्फ्यू का गहरा असर
लद्दाख में सन्नाटा और पर्यटन पर प्रभाव
लद्दाख, जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, इस समय सन्नाटे में है। हाल ही में लेह में हुए विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के कारण लागू अनिश्चितकालीन कर्फ्यू ने पर्यटन क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। होटल खाली पड़े हैं, बाजार बंद हैं, और विदेशी पर्यटक यहां फंसे हुए हैं।
विरोध प्रदर्शनों का प्रभाव
24 सितंबर को लेह में हुए प्रदर्शनों ने स्थिति को अचानक बिगाड़ दिया। जब प्रदर्शन हिंसक हो गए, तो कर्फ्यू लागू किया गया और इंटरनेट तथा मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं। इसका सीधा असर पर्यटन पर पड़ा है। होटल के प्रबंधक नसीब सिंह ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से बुकिंग लगातार रद्द हो रही हैं और नए मेहमानों का आना भी बंद हो गया है।
पहलगाम हमले के बाद का संकट
पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि यह संकट उस समय आया है जब उद्योग पहले से ही पहलगाम हमले से उबरने की कोशिश कर रहा था। अप्रैल में हुए इस आतंकी हमले ने पहले ही बुकिंग को प्रभावित किया था। स्थानीय ट्रांसपोर्टर रिगजिन दोरजे ने कहा, 'पहलगाम की घटना के बाद लगभग एक महीने तक पर्यटक नहीं आए। हालात जैसे-तैसे संभले थे, लेकिन अब लेह में हुई हिंसा ने फिर से सब कुछ रोक दिया है।'
पर्यटकों की परेशानियाँ
कर्फ्यू और पाबंदियों के कारण यहां आए पर्यटक भी मुश्किल में हैं। ताइवान से आई शीना ने बताया, 'यहां आने के बाद पता चला कि सब कुछ बंद है। न तो पैसे बदलवा पाए, न ही खाना खरीद पाए। पांगोंग झील देखने का हमारा प्लान भी अधूरा रह गया।' दिल्ली से आई एक पर्यटक ने कहा कि इंटरनेट बंद होने और बाजारों के बंद होने से वे होटल के कमरे में ही कैद हो गए हैं।
स्थानीय व्यवसायियों की चिंताएँ
होटल मालिक और दुकानदारों का कहना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो हजारों परिवारों की आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा। एक होटल संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'हर गुजरता दिन हमारे लिए नुकसान है। पूरा क्षेत्र पर्यटन पर निर्भर है और यह ठहराव हम सभी के लिए भारी पड़ सकता है।' लोग अब शांति बहाल होने और पाबंदियों के हटने की उम्मीद कर रहे हैं।