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लुधियाना में घोड़े के प्रति मालिक का अनोखा प्रेम: भोग समागम का आयोजन

लुधियाना के चरणजीत सिंह मिंटा ने अपने प्रिय घोड़े फतेहजंग की मृत्यु पर भोग समागम का आयोजन किया। यह कहानी इंसानों और जानवरों के बीच गहरे प्रेम को दर्शाती है। जानें कैसे उन्होंने अपने घोड़े को परिवार का सदस्य मानते हुए उसकी याद में एक नया घोड़ा भी अपनाया।
 

घोड़े के प्रति गहरा प्रेम

लुधियाना: इंसानों और जानवरों के बीच प्रेम की कई कहानियां सुनने को मिलती हैं, लेकिन लुधियाना से आई एक कहानी इस रिश्ते को नई गहराई देती है। खासी कलां के निवासी चरणजीत सिंह मिंटा अपने घोड़े फतेहजंग की मृत्यु से इस कदर दुखी हुए कि उन्होंने उसकी आत्मिक शांति के लिए भोग समागम का आयोजन किया। इसके लिए उन्होंने विशेष कार्ड छपवाए और गुरुद्वारा साहिब में कार्यक्रम आयोजित कर सभी रिश्तेदारों और परिचितों को आमंत्रित किया।


फतेहजंग: परिवार का सदस्य

चरणजीत सिंह मिंटा के लिए फतेहजंग केवल एक घोड़ा नहीं था, बल्कि उनके परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य था। उनके तीन बेटों में से एक, फतेहजंग का नाम हमेशा उनके साथ जुड़ा रहता था। उनके दो बेटे, गुरइकबाल सिंह और मनलोचन सिंह, क्रमशः ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में रहते हैं। जब भी कोई उनसे उनके बच्चों के बारे में पूछता, तो वे गर्व से कहते कि उनके तीन बेटे हैं, जिनमें से एक फतेहजंग सिंह हिंदुस्तान में रहता है।


घोड़े की खासियतें

मिंटा बताते हैं कि घोड़े पालना और उनसे प्रेम करना उनके परिवार की परंपरा है। तीन पीढ़ियों से उनका परिवार घोड़े पालता आ रहा है। 38 महीने का फतेहजंग उनके घर में ही पैदा हुआ था और उसकी नीली रंगत और दोस्ताना स्वभाव के कारण वह उनके लिए एक बच्चे की तरह बन गया था। बच्चे विदेश में होने के कारण उनका अधिकांश समय फतेहजंग के साथ ही बीतता था।


फतेहजंग की प्रसिद्धि

फतेहजंग पूरे उत्तर भारत में प्रदर्शनियों में एक प्रसिद्ध नाम था और लोग उसे बहुत पसंद करते थे। इस वर्ष, मिंटा उसे जोधपुर के महाराजा के पास भी ले गए थे, जहां उसकी बहुत प्रशंसा हुई थी।


दुखद घटना

8 अक्टूबर को फतेहजंग की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उसकी मृत्यु हो गई। जांच में पता चला कि उसके अंगों ने अचानक काम करना बंद कर दिया था। इस घटना ने चरणजीत सिंह को गहरा आघात पहुँचाया और वह उदासी में डूब गए। उनकी स्थिति को देखकर पटियाला से आए रिश्तेदारों ने उन्हें नीले रंग का एक नया घोड़ा उपहार में दिया। चरणजीत सिंह ने अपने 'बेटे' की याद में इस नए घोड़े का नाम भी फतेहजंग रखा है।