विक्रांत मैसी: भारतीय सिनेमा के नए सितारे का सफर
विक्रांत मैसी का अद्वितीय सफर
विक्रांत मैसी, जो इस पीढ़ी के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं, ने हाल ही में '12वीं फेल' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। यह उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उस उद्योग में वास्तविक प्रतिभा की चमक का प्रतीक है, जो अक्सर दिखावे पर ध्यान केंद्रित करता है। मैसी का करियर धैर्य, कौशल और विकास की एक प्रेरणादायक कहानी है।भारतीय टेलीविजन पर अपने करियर की शुरुआत करते हुए, उन्होंने 'बालिका वधू' और 'धरम वीर' जैसे शो में अपनी भूमिकाओं से अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। लेकिन उनका बड़े पर्दे पर कदम रखना, विशेषकर 'लुटेरा' (2013) के साथ, उनके अभिनय की गहराई और बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।
विक्रांत मैसी ने पिछले कुछ वर्षों में 'अ डेथ इन द गूंज', 'कार्गो', 'छपाक', और 'हसीन दिलरुबा' जैसी फिल्मों में गहराई वाले किरदारों को चुना है। उन्होंने हमेशा व्यावसायिक सफलता के बजाय कहानी की गुणवत्ता और अपने अभिनय कौशल पर ध्यान केंद्रित किया है। उनके किरदारों में सच्चाई और प्रामाणिकता होती है, जो दर्शकों को उनसे जोड़ती है।
'12वीं फेल' में मनोज कुमार शर्मा के रूप में उनका प्रदर्शन, जो एक वास्तविक जीवन के चरित्र पर आधारित है, उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। इस भूमिका में भेद्यता और ईमानदारी की आवश्यकता थी, और मैसी ने इसे बखूबी निभाया। उनका प्रदर्शन इतना स्वाभाविक था कि यह दर्शकों के दिलों को छू गया।
विक्रांत मैसी का सफर केवल प्रशंसा या पुरस्कारों तक सीमित नहीं है। यह उनके संघर्ष, विकास और कलात्मक अखंडता का प्रतीक है। वह नए भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो ज़मीन से जुड़े, विचारशील और निडर हैं। उनका उदय यह साबित करता है कि सच्ची प्रतिभा और मेहनत हमेशा रंग लाती है।