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शरद केलकर: 49वें जन्मदिन पर जानें उनके संघर्ष और सफलता की कहानी

शरद केलकर, भारतीय मनोरंजन उद्योग के एक प्रमुख अभिनेता, आज अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जीवन की कहानी संघर्ष और सफलता से भरी हुई है। हकलाते हुए मुंबई आए शरद ने अपने करियर की शुरुआत 2004 में की और जल्द ही 'सिंदूर तेरे नाम का' और 'सात फेरे' जैसे धारावाहिकों से पहचान बनाई। उन्होंने 'तान्हाजी' में शिवाजी महाराज का किरदार निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया। जानें उनके जीवन के और भी रोचक पहलू इस लेख में।
 

शरद केलकर का परिचय

शरद केलकर, भारतीय मनोरंजन उद्योग के एक प्रमुख नाम हैं, जिनकी अदाकारी और आवाज ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। आज, 07 अक्टूबर को, वह अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। हालांकि, उनके लिए यह सफर आसान नहीं रहा। जब शरद मुंबई आए थे, तब वह हकलाते थे और उन्हें अभिनय की कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं...


जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

शरद केलकर का जन्म 07 अक्टूबर 1976 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद मार्केटिंग में एमबीए किया। लेकिन उनका सपना हमेशा से अभिनय में था, इसलिए उन्होंने इस दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया।


करियर की शुरुआत

शरद ने 2004 में टीवी शो 'आक्रोश' से अपने करियर की शुरुआत की। लेकिन उन्हें असली पहचान 'सिंदूर तेरे नाम का' और 'सात फेरे' जैसे धारावाहिकों से मिली। 2009 में, उन्होंने 'बैरी पिया' में ठाकुर दिग्विजय सिंह का किरदार निभाया, जिससे वह रातों-रात प्रसिद्ध हो गए। 2010 में, उन्हें बेस्ट निगेटिव एक्टर का पुरस्कार भी मिला।


उनकी होस्टिंग और अभिनय की क्षमता अद्वितीय है। उन्होंने 'रॉक-एन-रोल फैमिली' और 'पति पत्नी और वो' जैसे शो में शानदार होस्टिंग की है। 2011 में, टीवी शो 'उतरन' में सत्या का ग्रे शेड वाला किरदार निभाया। वह हर किरदार को जीवंत करने की क्षमता रखते हैं।


फिल्मी करियर

2014 में, शरद केलकर ने मराठी फिल्म 'लई भारी' से फिल्म उद्योग में कदम रखा। बॉलीवुड में, उनकी कॉमिक टाइमिंग 'हाउसफुल 4' में और 'तान्हाजी' में शिवाजी महाराज के किरदार ने उनकी विविधता को दर्शाया। फिल्म 'बाहुबली' में उनके वॉयसओवर ने दर्शकों का दिल जीत लिया।


शिवाजी महाराज का किरदार

फिल्म 'तान्हाजी' से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा यह है कि इस प्रतिष्ठित किरदार को निभाने के लिए शरद केलकर को केवल 4 दिन का समय मिला। इस कम समय में, उन्होंने महाराज के शौर्य, गरिमा और शालीनता को पूरी तरह से आत्मसात किया। शरद ने इस किरदार को केवल एक राजा के रूप में नहीं, बल्कि एक पिता, गुरु और दूरदर्शी नेता के रूप में देखा।


आलोचकों और दर्शकों दोनों ने शरद के इस रोल की सराहना की। उनकी आंखों में दिखाई देने वाला दृढ़ विश्वास और शालीनता ने शिवाजी महाराज के किरदार को जीवंत बना दिया। शरद केलकर न केवल एक उत्कृष्ट अभिनेता हैं, बल्कि होस्टिंग और वॉयसओवर के क्षेत्र में भी एक मिसाल हैं।