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शरद पूर्णिमा: धार्मिक मान्यताएँ और विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस रात कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं, जिनसे जुड़ी मान्यताएँ हैं। जानें इस पूर्णिमा की रात से जुड़े 8 महत्वपूर्ण विश्वास, जैसे चांद की रोशनी में सुई-धागा डालने से दृष्टि में सुधार, लक्ष्मी पूजन का महत्व, और साधकों द्वारा की जाने वाली साधनाएँ। इस विशेष रात के बारे में और अधिक जानने के लिए पढ़ें।
 

शरद पूर्णिमा का महत्व

 शरद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। हर महीने की पूर्णिमा का अपना महत्व होता है, लेकिन शरद पूर्णिमा को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात कई धार्मिक और शास्त्रीय कार्य किए जाते हैं, जिनसे जुड़ी कई मान्यताएँ हैं। आइए जानते हैं इस पूर्णिमा की रात से जुड़े 8 धार्मिक और सामाजिक विश्वास।


1. चांद की रोशनी में सुई-धागा

कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में सुई में 100 बार धागा डालने से व्यक्ति की दृष्टि में सुधार होता है।


2. जवान बनाती है ये रात

यह मान्यता है कि रावण इस रात विशेष साधना करता था, जिससे वह हमेशा युवा बना रहता था। वह पूर्णिमा की रात की रोशनी का उपयोग करता था।


3. शरद पूर्णिमा की खीर

इस रात खीर बनाकर उसे चांद की रोशनी में रखने की परंपरा है। मान्यता है कि चांद की रोशनी से खीर अमृत बन जाती है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।


4. लक्ष्मी पूजन

कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस रात मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।


5. चांदनी रात का प्रभाव

कहा जाता है कि इस रात चाँद पृथ्वी के करीब होता है, जिससे वातावरण में ठंडक आती है। चाँद की रोशनी और ठंडी हवा से स्वास्थ्य में सुधार होता है।


6. धार्मिक अनुष्ठान का प्रारंभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के बाद वर्षा ऋतु समाप्त होती है और धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत होती है।


7. धरती पर आए पितर वापस जाते हैं

यह मान्यता है कि चंद्रलोक पितरों का निवास स्थान है। नवरात्रि से पहले श्राद्ध पक्ष में पितर धरती पर आते हैं और शरद पूर्णिमा की रात वापस लौट जाते हैं।


8. साधकों की रात शरद पूर्णिमा

इस रात साधक विभिन्न साधनाएं करते हैं, जो धार्मिक मान्यताओं और तंत्र विद्या से जुड़ी होती हैं। इस रात वातावरण में विशेष ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिसका साधक उपयोग करते हैं।