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संजीव कुमार: हिंदी सिनेमा के अमर अभिनेता की कहानी

संजीव कुमार, हिंदी सिनेमा के एक अद्वितीय अभिनेता, ने अपने करियर में कई यादगार किरदार निभाए। उनकी प्रतिभा और गहराई ने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान दिलाया। जानें उनके जीवन की कहानी, फिल्मी सफर और उनके निधन की भविष्यवाणी के बारे में।
 

संजीव कुमार का अद्वितीय अभिनय


मुंबई: हिंदी फिल्म उद्योग में कुछ ऐसे अभिनेता हुए हैं जिन्होंने अभिनय को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा माना। संजीव कुमार ऐसे ही एक अद्वितीय अभिनेता थे। कभी उनके दर्द भरे चेहरे ने दर्शकों की आंखों में आंसू ला दिए, तो कभी उनकी मासूमियत ने दिलों को जीत लिया। उनके हर किरदार में गहराई, सरलता और ईमानदारी की झलक मिलती थी।


जीवन की शुरुआत और करियर की शुरुआत

संजीव कुमार का जन्म हरिहर जेठालाल जरीवाला के नाम से 9 जुलाई 1938 को सूरत, गुजरात में हुआ। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था। एक साधारण परिवार से आने वाले संजीव के सपने बड़े थे। मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की और इंडियन नेशनल थिएटर से जुड़े। थिएटर में लोग उन्हें प्यार से हरीभाई के नाम से जानते थे।


फिल्मी करियर की शुरुआत

22 साल की उम्र में किया डेब्यू


संजीव कुमार ने 22 वर्ष की आयु में फिल्मी दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म 'हम हिंदुस्तानी' (1960) थी, जिसमें उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर की छोटी भूमिका निभाई। इसके बाद 1965 में 'निशान' में उन्हें मुख्य भूमिका मिली। फिल्म 'खिलौना' (1970) ने उन्हें पहचान दिलाई और दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान बनाया। इस फिल्म में उन्होंने मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति का किरदार इतनी सच्चाई से निभाया कि दर्शक भावुक हो गए।


अभिनय की अद्भुत मिसाल

'नया दिन नई रात' में निभाए 9 किरदार


संजीव कुमार की प्रतिभा का सबसे बड़ा उदाहरण 1974 की फिल्म 'नया दिन नई रात' है। इस फिल्म में उन्होंने 9 अलग-अलग किरदार निभाए, जिनमें हर एक की अपनी आवाज, हावभाव और स्वभाव था। यह प्रयोग हिंदी सिनेमा में आज भी याद किया जाता है। इसी फिल्म ने उन्हें 'वन मैन इंडस्ट्री' का दर्जा दिलाया। इसके बाद उन्होंने 'मौसम', 'कोशिश', 'अंधी', 'अंगूर', 'पति पत्नी और वो', और 'सिलसिला' जैसी कई यादगार फिल्में दीं।


सुपरहिट फिल्म 'शोले' में भूमिका

शोले में ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार


1975 की सुपरहिट फिल्म 'शोले' में संजीव कुमार ने ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार निभाया। उस समय उनकी उम्र केवल 37 वर्ष थी, लेकिन उन्होंने एक वृद्ध और बदले की आग में जलते इंसान का किरदार इतनी सच्चाई से निभाया कि लोग उन्हें असल में ठाकुर बुलाने लगे। उनकी गंभीरता, संवाद अदायगी और आंखों की गहराई ने सिनेमा में अमर छाप छोड़ी।


भविष्यवाणी और निधन

खुद की मौत की कर दी थी भविष्यवाणी


संजीव कुमार को 1978 के बाद से दिल की बीमारी ने घेर लिया था। एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मुझे नहीं लगता मैं 50 साल तक जी पाऊंगा, हमारे घर के पुरुष जल्दी चले जाते हैं।' दुर्भाग्य से यह भविष्यवाणी सच साबित हुई। 6 नवंबर 1985 को केवल 47 वर्ष की आयु में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से सिनेमा ने एक ऐसा कलाकार खो दिया जिसने अभिनय को पूजा की तरह निभाया।