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सिंपल कपाड़िया: 70 के दशक की अदाकारा जिनका सफर रहा संघर्षपूर्ण

सिंपल कपाड़िया, 70 के दशक की एक अदाकारा, जिन्होंने अपने देवर के साथ रोमांस किया और फ़ैशन में भी अपनी पहचान बनाई। उनके करियर की शुरुआत 'अनुरोध' फिल्म से हुई, लेकिन किस्मत ने उन्हें संघर्षों से भरा जीवन दिया। जानें उनके अद्वितीय सफर के बारे में, जिसमें साहस, सुंदरता और जुनून की कहानी है।
 

सिंपल कपाड़िया: एक अदाकारा की कहानी


सिंपल कपाड़िया: 1970 का दशक भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण समय था, जब कई अदाकाराएँ अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत रही थीं। इस दौरान एक ऐसी अदाकारा भी थीं जिन्होंने अपने देवर के साथ रोमांटिक सीन किए, जो उस समय के लिए एक साहसिक कदम था।



हालांकि, उनके आकर्षण और प्रतिभा के बावजूद, उनका करियर अपेक्षित सफलता नहीं पा सका। फ़ैशन उद्योग में उनके प्रयास भी उन्हें वह पहचान नहीं दिला सके जिसकी वे हकदार थीं। आइए जानते हैं 70 के दशक की इस अदाकारा—सिंपल कपाड़िया की कहानी।


रोमांस करने वाली अदाकारा

सिंपल कपाड़िया को अपने समय की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक माना जाता था। उनकी मासूमियत और प्राकृतिक सुंदरता ने दर्शकों का ध्यान खींचा। उनका संबंध बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना से था, जो उनके देवर थे।


सिंपल ने 1977 में राजेश खन्ना के साथ फिल्म 'अनुरोध' से अपने करियर की शुरुआत की। उनकी जोड़ी ने दर्शकों को चौंका दिया, क्योंकि उन्होंने राजेश खन्ना की प्रेमिका का किरदार निभाया।


एक पुराने साक्षात्कार में, सिंपल ने बताया कि शुरुआत में उन्हें अपने देवर के साथ रोमांस करने में असहजता महसूस हुई, लेकिन राजेश खन्ना की पेशेवर मदद ने उन्हें आत्मविश्वास दिया।


एक संघर्षपूर्ण करियर

सिंपल कपाड़िया का करियर उनकी बहन डिंपल कपाड़िया की ऊँचाइयों तक नहीं पहुँच सका। 70 और 80 के दशक में उन्होंने कई फ़िल्मों में काम किया, जैसे 'अनुरोध', 'सचेत', 'चक्रव्यूह', और 'लूटमार'।


हालांकि उनकी प्रतिभा की सराहना हुई, लेकिन सफलता उनके साथ नहीं रही। अंततः उन्होंने अभिनय छोड़कर फ़ैशन डिज़ाइनिंग में करियर बनाने का निर्णय लिया।


फैशन की दुनिया में कदम

फिल्मों को छोड़ने के बाद, सिंपल कपाड़िया ने फ़ैशन और कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनकी रचनात्मकता ने उन्हें फ़िल्म उद्योग में एक विशेष स्थान दिलाया।


उन्होंने कई प्रमुख बॉलीवुड सितारों के लिए डिज़ाइन किए और फ़िल्म 'रुदाली' (1993) के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।


हालांकि, किस्मत ने फिर से साथ नहीं दिया। पचास के दशक की शुरुआत में, उन्हें कैंसर का पता चला और 51 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।


एक सितारा जो जल्दी चला गया

सिंपल कपाड़िया भले ही सुपरस्टार नहीं बन पाईं, लेकिन उनका सफर साहस और जुनून से भरा रहा। उन्होंने अभिनय से लेकर फ़ैशन तक, दोनों क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी। उनका जीवन यह दर्शाता है कि कभी-कभी सबसे चमकते सितारे भी समय से पहले फीके पड़ जाते हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा जीवित रहती हैं।