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सिरसा के किसान ने पराली से कमाई का अनोखा तरीका अपनाया

सिरसा के किसान राजेन्द्र ने पराली से ईंधन बनाने का अनोखा व्यवसाय शुरू किया है, जिससे उन्होंने न केवल प्रदूषण को कम किया है, बल्कि आर्थिक लाभ भी कमाया है। उनकी पहल ने अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक नया बाजार भी खोला है। जानें कैसे राजेन्द्र ने पराली को कमाई का जरिया बनाया और किस प्रकार उनकी तकनीक ने स्थानीय समुदाय को लाभान्वित किया है।
 

पराली से कमाई: सिरसा के किसान राजेन्द्र की अनोखी पहल

सिरसा जिले के खारिया गांव के किसान राजेन्द्र ने पराली से कमाई का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। मेडिकल क्षेत्र में 38 साल बिताने के बाद, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए पराली से ईंधन बनाने का व्यवसाय शुरू किया।


राजेन्द्र ने बताया कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने रिसर्च के माध्यम से (stubble to fuel) तकनीक विकसित की और दो साल पहले एक एकड़ चार कनाल में (parali fuel plant) स्थापित किया। वर्तमान में, वे हर साल 20 हजार क्विंटल पराली को प्रोसेस कर ईंधन तैयार कर रहे हैं।


पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक लाभ का नया रास्ता


राजेन्द्र का यह मॉडल न केवल पराली प्रबंधन को बढ़ावा देता है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आमदनी और स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है। उनके प्लांट में एक दर्जन से अधिक लोग कार्यरत हैं। अब आसपास के किसान पराली जलाने के बजाय उसे बेचकर लाभ कमा रहे हैं।


यह ईंधन दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, पानीपत, सोनीपत जैसे शहरों की औद्योगिक इकाइयों में कोयले के स्थान पर उपयोग किया जा रहा है। इससे प्रदूषण में कमी आई है और किसानों को एक नया बाजार मिला है।


राजेन्द्र ने बताया कि सरकार की प्रोत्साहन नीति और कृषि विभाग की सराहना ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। उनका मॉडल अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।


पराली से कमाई का मॉडल: एक प्रेरणा


राजेन्द्र का मानना है कि यदि हर किसान (stubble recycling) को अपनाए, तो पराली प्रदूषण का कारण नहीं, बल्कि कमाई का जरिया बन सकती है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष को जलाने के बजाय उसका सही उपयोग करें।


उनकी इस पहल को प्रशासन और कृषि विभाग ने सराहा है और इसे कृषि नवाचार का बेहतरीन उदाहरण बताया है। यह मॉडल न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक सकारात्मक कदम है।