सुप्रीम कोर्ट का सुझाव: लग्जरी पेट्रोल-डीजल वाहनों पर चरणबद्ध बैन, EV को बढ़ावा देने की दिशा में कदम
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण सुझाव
नई दिल्ली - देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने की गति को तेज करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। कोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार को लग्जरी पेट्रोल और डीजल वाहनों पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बदलाव को प्रोत्साहित किया जा सके।
सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार इस विचार के प्रति सकारात्मक है और पहले से ही इस दिशा में कार्य कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित इस बदलाव को आगे बढ़ाने में 13 मंत्रालय सक्रिय रूप से शामिल हैं।
CPIL की जनहित याचिका पर सुनवाई
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सुझाव दिया। इस याचिका में सरकार की ईवी को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग की गई थी। जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि अब बाजार में बड़े और उच्चस्तरीय इलेक्ट्रिक वाहन भी उपलब्ध हैं, इसलिए शुरुआत उच्च श्रेणी के पेट्रोल/डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से की जा सकती है।
चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता
गाड़ियां बढ़ेंगी तो चार्जिंग स्टेशन भी बढ़ जाएंगे
सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें अधिक थीं, इसलिए प्रोत्साहन योजनाएं लाई गईं। अब मुख्य चुनौती चार्जिंग स्टेशनों की कमी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जैसे-जैसे सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ेगी, चार्जिंग स्टेशनों की संख्या भी अपने आप बढ़ जाएगी। अदालत ने कहा कि ये सब बाजार से जुड़े मुद्दे हैं। जब इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ेंगे, तो चार्जिंग स्टेशन भी आएंगे। मौजूदा पेट्रोल पंपों पर भी चार्जिंग की सुविधा दी जा सकती है।
EV नीति की समीक्षा की आवश्यकता
EV नीति की समीक्षा की जरूरतः कोर्ट
कोर्ट ने यह भी कहा कि ईवी नीति की फिर से समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है। इस नीति को बने हुए पांच साल हो गए हैं, अब इसे फिर से देखा जाना चाहिए। सुनवाई के अंत में अटॉर्नी जनरल ने बताया कि अब तक जारी अधिसूचनाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने मामले को चार हफ्ते बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।