×

हरियाणा पशुपालन योजना: किसानों के लिए 30,000 रुपये तक की नकद सहायता

हरियाणा सरकार ने पशुपालकों के लिए एक नई योजना की घोषणा की है, जिसमें उन्हें 30,000 रुपये तक की नकद सहायता मिलेगी। इस योजना का उद्देश्य देशी गायों और भैंसों की नस्लों का संरक्षण करना और दूध उत्पादन को बढ़ावा देना है। जानें इस योजना के लाभ, आवेदन की प्रक्रिया और पात्रता की शर्तें।
 

हरियाणा पशुपालन योजना: किसानों के लिए खुशखबरी

हरियाणा पशुपालन योजना: हरियाणा के मवेशी किसानों के लिए एक नई योजना शुरू की गई है, जिसमें उन्हें 30,000 रुपये तक की नकद सहायता मिलेगी। चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने "स्वदेशी मवेशियों के संरक्षण और विकास तथा मुर्राह विकास योजना" की शुरुआत की है।


इस योजना का उद्देश्य देशी गायों और भैंसों की नस्लों का संरक्षण करना और उनके दूध उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके तहत पशुपालकों को 5,000 से 30,000 रुपये तक की नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। आइए इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं और आवेदन की प्रक्रिया समझते हैं।


देशी नस्लों का संरक्षण


इस योजना का मुख्य उद्देश्य हरियाणा की मूल्यवान स्वदेशी नस्लों, जैसे मुर्राह भैंस, हरियाणा, साहीवाल और बेलाही गायों का संरक्षण करना है।


आगामी पांच वर्षों में, यह योजना उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं की पहचान करेगी और उनके आनुवांशिक सुधार के लिए बेहतर वीर्य से गर्भाधान को प्रोत्साहित करेगी। इससे दूध उत्पादन और पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि होगी।


प्रोत्साहन राशि की जानकारी


इस योजना के तहत दूध उत्पादन के आधार पर पशुपालकों को नकद राशि दी जाएगी। मुर्राह भैंस, जो प्रतिदिन 18 किलोग्राम से अधिक दूध देती हैं, उनके मालिकों को 15,000 से 30,000 रुपये तक मिलेंगे।


हरियाणा और साहीवाल गायों के लिए, जो 8 किलोग्राम से अधिक दूध देती हैं, 10,000 से 20,000 रुपये और बेलाही गाय के लिए, जो 5 किलोग्राम से अधिक दूध देती हैं, 5,000 से 15,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।


योजना की शर्तें


इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें हैं। चिह्नित पशु और उसके बछड़े को कम से कम एक वर्ष तक नहीं बेचा जा सकता।


नर बछड़े की देखभाल करनी होगी, और विभाग को उसकी खरीद का पहला अधिकार होगा। पशुओं का बीमा अनिवार्य है, और यदि बीमा योजना उपलब्ध नहीं है, तो पशुपालक को स्वयं बीमा कराना होगा।


कौन ले सकता है लाभ?


आवेदक को हरियाणा का निवासी होना चाहिए और उसकी उम्र 18 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। पशु की ब्याने की तारीख से 5 से 75 दिन के भीतर आवेदन करना होगा।


एक पशुपालक अधिकतम दो पशुओं के लिए प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकता है। केवल मुर्राह, हरियाणा, साहीवाल और बेलाही नस्लें ही पात्र हैं। एक पशु को उसके जीवनकाल में केवल दो बार प्रोत्साहन मिलेगा।


आवेदन की प्रक्रिया


आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है। पशुपालक अंत्योदय-सरल पोर्टल (https://saralharyana.gov.in/) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।


आवेदन के बाद, पशुपालन विभाग के अधिकारी पशु की नस्ल और दूध उत्पादन की जांच करेंगे। प्रक्रिया पूरी होने पर प्रोत्साहन राशि सीधे आवेदक के खाते में भेजी जाएगी। यह योजना पशुपालकों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ देशी नस्लों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।