हरियाणा में सिविल इंजीनियर की गिरफ्तारी से पाकिस्तान उच्चायोग के भ्रष्टाचार का मामला उजागर
हरियाणा के पलवल निवासी सिविल इंजीनियर वसीम अकरम की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान उच्चायोग के भ्रष्टाचार और जासूसी के एक नए मामले को उजागर किया है। अकरम पर आरोप है कि उसने वीजा प्राप्त करने के लिए रिश्वत दी और भारतीय सेना की जानकारी अपने कथित हैंडलर के साथ साझा की। यह मामला मलेरकोटला और नूह में पहले उजागर हुए मामलों से मेल खाता है, जिससे सुरक्षा चिंताएँ बढ़ गई हैं।
Oct 4, 2025, 20:01 IST
हरियाणा में भ्रष्टाचार का नया मामला
हरियाणा के पलवल के सिविल इंजीनियर वसीम अकरम की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान उच्चायोग के वीजा डेस्क के दुरुपयोग का एक और मामला सामने लाया है। अकरम को मंगलवार को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया। सूत्रों के अनुसार, वह पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी जफर उर्फ मुजम्मिल हुसैन के लिए डेटा सप्लायर के रूप में कार्यरत था। उसने अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने के लिए वीजा आवेदन किया था, जहां उसकी मुलाकात उच्चायोग के अधिकारी से हुई। प्रारंभ में उसका वीजा आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया था, लेकिन बाद में ₹20,000 की रिश्वत देने के बाद उसे वीजा मिल गया। जांचकर्ताओं के अनुसार, अकरम ने मई 2022 में कसूर की यात्रा की।
पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी के साथ संबंध
पाकिस्तान उच्चायोग का अधिकारी जफर, अकरम के पाकिस्तान लौटने के बाद भी व्हाट्सएप के माध्यम से उसके संपर्क में रहा। अकरम ने वीजा सुविधा के लिए अपना बैंक खाता उपलब्ध कराया, जिसमें कमीशन का वादा किया गया था। उसके खाते में लगभग ₹5 लाख ट्रांसफर किए गए, और बिचौलियों के माध्यम से और भी नकद भुगतान किया गया। उसने उच्चायोग के अधिकारी को ₹2.3 लाख दिए, जिसमें ₹1.5 लाख नकद शामिल थे। इसके अलावा, उसने अधिकारी को सिम कार्ड भी प्रदान किए।
भारतीय सेना की जानकारी साझा करने का आरोप
अकरम पर यह भी आरोप है कि उसने ओटीपी मुहैया कराई और भारतीय सेना के जवानों की जानकारी अपने कथित हैंडलर के साथ साझा की। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पलवल मॉड्यूल मलेरकोटला और नूह में पहले उजागर हुए मामलों के समान पैटर्न का अनुसरण करता है। मलेरकोटला मामले का भंडाफोड़ इस साल की शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ था, जिसमें एक अन्य पाकिस्तानी अधिकारी ने स्थानीय लोगों को वीजा दिलाने का वादा करके जासूसी के लिए उनका उपयोग किया था। आरोप है कि भर्ती करने वालों को संवेदनशील रक्षा संबंधी जानकारी के बदले में छोटे यूपीआई ट्रांसफर मिलते थे।