हरियाणा सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए खोला ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल
सोनीपत में फसलों के नुकसान की भरपाई
सोनीपत, फसल क्षति मुआवजा: हरियाणा सरकार ने बाढ़ और भारी बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने एक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल लॉन्च किया है, जहां किसान अपनी खराब फसलों की जानकारी स्वयं अपलोड कर सकते हैं। इससे नुकसान का सही रिकॉर्ड रखा जाएगा और किसानों को यह शिकायत नहीं रहेगी कि उनके नुकसान को कम करके दिखाया गया। इस खरीफ सीजन में जिले के किसानों ने 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर 1.95 लाख एकड़ का रजिस्ट्रेशन कराया है।
15 सितंबर तक आवेदन करें
सोनीपत के किसान 15 सितंबर तक करें आवेदन
किसानों को 15 सितंबर तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन करना अनिवार्य है। इसके बाद, राजस्व विभाग फसलों का निरीक्षण करेगा। जिन किसानों की फसल खराब पाई जाएगी, उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित मुआवजा मिलेगा। यमुना बेल्ट के किसानों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, क्योंकि हथनीकुंड बैराज से अचानक अधिक पानी छोड़े जाने के कारण 50 से अधिक गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि, जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन फसलों को गंभीर क्षति पहुंची है। गोहाना सहित कई क्षेत्रों में भारी बारिश ने भी फसलों को बर्बाद कर दिया है।
आवेदन प्रक्रिया सरल
आसान है आवेदन प्रक्रिया
ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन करना बहुत सरल है। किसान अपने मोबाइल से आवेदन कर सकते हैं। यदि मोबाइल चलाने में कोई समस्या हो, तो वे गांव के सुविधा केंद्र या अटल सेवा केंद्रों से सहायता ले सकते हैं। वहां खेत की तस्वीरें, खसरा और खतौनी नंबर जैसी जानकारी देकर आवेदन अपलोड किया जा सकता है। राजस्व विभाग की टीम मौके पर फसल का सत्यापन करेगी और यदि नुकसान सही पाया गया, तो मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
डीसी की अपील
डीसी की अपील
सोनीपत के डीसी सुशील सारवान ने बताया कि यमुना में बढ़े जलस्तर और बारिश के कारण जलभराव से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसके लिए सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल शुरू किया है। किसान इस पोर्टल पर अपनी फसलों के नुकसान का रजिस्ट्रेशन कर मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रभावित किसानों तक यह जानकारी समय पर पहुंचाई जाए। डीसी ने किसानों से 15 सितंबर तक आवेदन करने की अपील की। पानी उतरने के बाद खेतों में रेत और कचरा जमा होने से अगली फसलों पर भी असर पड़ने का खतरा है।