होमबाउंड: एक सामाजिक ड्रामा जो दिल को छू लेता है
फिल्म की कहानी और पात्र
होमबाउंड का रिव्यू: 'होमबाउंड' ने सिनेमाघरों में आते ही दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है। नीरज घायवान द्वारा निर्देशित यह फिल्म, जो भारत की ओर से 2026 के ऑस्कर के लिए आधिकारिक प्रविष्टि है, दर्शकों के दिलों को छू रही है। ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर और विशाल जेठवा ने अपने संवेदनशील अभिनय से सभी को प्रभावित किया है। कहानी दो बचपन के दोस्तों शोएब (ईशान) और चंदन (विशाल) की है, जो उत्तर भारत के एक छोटे से गांव से हैं।
शोएब एक मुस्लिम लड़का है, जबकि चंदन दलित समुदाय से आता है। दोनों गरीबी और सामाजिक भेदभाव से परेशान होकर पुलिस भर्ती परीक्षा पास करने का सपना देखते हैं, ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। लेकिन परीक्षा के परिणामों के बाद उनकी दोस्ती में दरार आ जाती है, जब जाह्नवी का किरदार सुधा, चंदन से प्यार करने लगता है। महामारी और सामाजिक दबावों के बीच यह यात्रा एक भावुक मोड़ ले लेती है।
फिल्म की प्रेरणा और कलाकारों की तैयारी
यह फिल्म न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख पर आधारित है, जो वास्तविक घटनाओं से प्रेरित प्रतीत होती है। निर्देशक ने कलाकारों को अपनी 'प्रिविलेज्ड' जिंदगी छोड़कर गांवों में जाकर असली जिंदगी का अनुभव करने के लिए कहा। इसके लिए ईशान, जाह्नवी और विशाल ने 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' जैसी किताबें पढ़ीं और स्थानीय संस्कृति को समझा।
फिल्म की सफलता और दर्शकों की प्रतिक्रियाएं
कांस फिल्म फेस्टिवल में नौ मिनट की खड़ी तालियों और टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में रनर-अप रहने के बाद, अब भारत में रिलीज पर यह साबित कर रही है कि सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्में भी दर्शकों का दिल जीत सकती हैं।
एक्स पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं देखने लायक हैं। एक यूजर ने लिखा, 'होमबाउंड निश्चित रूप से ऑस्कर जीतेगी। जाति-धर्म की कड़वी हकीकत का ऐसा आईना कभी नहीं देखा।' दूसरे ने कहा, 'ईशान खट्टर का इमोशनल ब्रेकडाउन दिल दहला गया, आंसू रुक ही नहीं रहे।' विशाल जेठवा की तारीफ करते हुए किसी ने लिखा, 'उनकी रॉ एनर्जी कमाल की है, छोटे शहर के लड़के का दर्द बिल्कुल रियल लगता है।'
फिल्म की विशेषताएं
जाति-धर्म की कड़वी हकीकत का आईना है 'होमबाउंड'
जाह्नवी की डिग्लैम लुक को सराहते हुए एक फैन ने कहा, 'वे इतनी नैचुरल लगीं, डायलॉग डिलीवरी में कोई कमी नहीं।' कई यूजर्स ने फिल्म को 'ब्रिलियंट' बताया, तो कुछ ने इसे 'अनमिसेबल' करार दिया। धर्मा प्रोडक्शंस की यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। यदि आप सामाजिक ड्रामा के शौकीन हैं, तो इसे थिएटर में अवश्य देखें।