धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त और महत्व
धनतेरस का पर्व
जानें खरीदारी का शुभ मुहूर्त, क्या खरीदना शुभ होगा?
धनतेरस का त्योहार आज मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है और लोग अपने घरों में नए सामान की खरीदारी करते हैं। धनतेरस पर झाड़ू से लेकर सोने-चांदी तक की वस्तुएं खरीदी जाती हैं। लेकिन खरीदारी शुभ मुहूर्त देखकर ही करनी चाहिए। इस बार ब्रह्म योग और त्रिग्रहीय संयोग के कारण इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है।
पूजा का समय और शुभ वस्तुएं
इस दिन मां लक्ष्मी, कुबेर और धनवंतरि की पूजा की जाती है। खरीदारी के लिए दोपहर तीन बजे से शाम छह बजे तक का समय शुभ माना गया है। तांबे और पीतल के बर्तन तथा झाड़ू खरीदना शुभ है, जबकि तेल और हल्दी खरीदने से बचना चाहिए। धनतेरस पर 13 दीयों का विशेष महत्व है।
त्रिग्रहीय संयोग का महत्व
आज त्रयोदशी तिथि दोपहर 1.22 बजे लग जाएगी। शनि प्रदोष, ब्रह्म योग और तुला राशि में सूर्य, बुध और मंगल का संचरण होने से त्रिग्रहीय संयोग बन रहा है। तुला राशि व्यापार का प्रतीक है, जिसमें सूर्य का संचरण होगा। इससे धनतेरस का महत्व और बढ़ गया है।
खरीदारी का सही समय
दोपहर तीन से शाम छह बजे तक लाभ और अमृत योग बन रहा है, जिसमें खरीदारी करनी चाहिए। इसके बाद शाम 7.30 से रात नौ बजे तक भी शुभ योग रहेगा।
पीतल और तांबे के बर्तन
कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर देव और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था। इस मंथन में धनवंतरि और मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। इसलिए धनतेरस पर धनवंतरि की जयंती भी मनाई जाती है। शनिवार के दिन तांबा और पीतल के बर्तनों को खरीदना शुभ है। सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और रत्न खरीदना भी लाभकारी रहेगा।
झाड़ू खरीदने का महत्व
धनतेरस पर झाड़ू खरीदना आवश्यक है। झाड़ू मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है, जो घर से दरिद्रता को दूर करती है। झाड़ू खरीदने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
13 दीयों का महत्व
धनतेरस की शाम घर के अंदर और बाहर दीया जलाने की परंपरा है। इससे वर्षभर सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। धनतेरस पर 13 दीयों का विशेष महत्व है, जिन्हें विभिन्न स्थानों पर जलाना चाहिए।
- एक दीया यम देवता के लिए जलाना चाहिए।
- मां लक्ष्मी के लिए दीया जलाना आवश्यक है।
- घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ दो दीये जलाने की परंपरा है।
- तुलसी के पास एक दीया अवश्य जलाना चाहिए।
- घर की छत पर एक दीया रखना चाहिए।
- इसके अलावा सात दीये पीपल के वृक्ष के नीचे और मंदिर में जलाना चाहिए।