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बिहार के आम: 12 विशेष किस्मों की मिठास और पहचान

बिहार के आम अपनी मिठास और खुशबू के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। भागलपुर का जर्दालू, पटना का मालदा, और मिथिलांचल का गुलाबखास जैसे आम न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा भी हैं। इस लेख में हम बिहार के 12 अद्भुत आमों की विशेषताओं, उनकी क्षेत्रीय विविधता, और संरक्षण की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे ये आम बिहार की कृषि को गर्वित करते हैं और किस प्रकार संरक्षण के प्रयासों की आवश्यकता है।
 

बिहार के आम: मिठास और खुशबू की पहचान

बिहार के आम अपनी अनोखी मिठास और सुगंध के लिए देश और विदेश में प्रसिद्ध हैं। भागलपुर का जर्दालू, पटना का मालदा, और मिथिलांचल का गुलाबखास जैसे आम बिहार की मिट्टी और जलवायु का अनूठा उपहार हैं। ये आम न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा हैं। कुछ किस्में संरक्षण की कमी के कारण विलुप्त होने के खतरे में हैं। आइए, बिहार के 12 अद्भुत आमों की विशेषताओं पर नजर डालते हैं।


प्रमुख किस्में और उनकी विशेषताएं

बिहार के आमों में जर्दालू सबसे प्रमुख है। भागलपुर का यह आम अपनी सुनहरी त्वचा और रसीले स्वाद के लिए जाना जाता है और इसे जीआई टैग भी प्राप्त है। चंपारण का जर्दा आम कच्चा होने पर भी मीठा होता है।


मिथिलांचल का गुलाबखास आम गुलाब जैसी सुगंध प्रदान करता है, जबकि पटना का दूधिया मालदा मलाईदार स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। बंबइया आम हरा रहकर भी मध्यम मिठास का अनुभव कराता है। ये सभी किस्में बिहार की कृषि को गर्वित करती हैं।


क्षेत्रीय विविधता और बाजार की मांग

बिहार के विभिन्न जिलों में आमों की अनूठी किस्में उगाई जाती हैं। समस्तीपुर का सीपिया आम शंख के आकार का और रसीला होता है, जबकि कृष्णभोग गोल और मीठा होता है। सिंदूरिया का लाल रंग और मिठास इसे विशेष बनाते हैं।


आम्रपाली आम छोटे किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है। ये किस्में देश-विदेश के बाजारों में भी मांग रखती हैं। बिहार की उपजाऊ मिट्टी और जलवायु इन आमों के स्वाद को अद्वितीय बनाती हैं, लेकिन कुछ किस्में संरक्षण की कमी के कारण संकट में हैं।


संरक्षण की आवश्यकता और भविष्य की दिशा

बिहार के आमों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। सिंदूरिया और सीपिया जैसी दुर्लभ किस्में विलुप्त होने के कगार पर हैं। किसानों को प्रोत्साहन और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है।


‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे प्रयास संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सरकार और किसानों को मिलकर इन किस्मों को बचाने की दिशा में काम करना होगा। उपभोक्ताओं से अपील है कि वे स्थानीय आम खरीदें, जिससे बिहार की विरासत को जीवित रखा जा सके।