अयोध्या दीपोत्सव 2025: 26 लाख दीयों से जगमगाई राम नगरी
अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन
अयोध्या दीपोत्सव 2025: भगवान राम की पवित्र भूमि अयोध्या एक बार फिर मिट्टी के दीयों की रोशनी से चमक उठी। रविवार को छोटी दिवाली के अवसर पर आयोजित इस भव्य दीपोत्सव में 26 लाख से अधिक दीये जलाए गए, जिसने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपनी जगह बनाई है। यह आयोजन श्रद्धा, आस्था और भक्ति का प्रतीक बनकर इतिहास में दर्ज हो गया है।
#WATCH | उत्तर प्रदेश: राम की पैड़ी पर राम लीला का मंचन हो रहा है, जिसमें लेजर और लाइट शो का समावेश है।
घाट पर दीयों और रंगीन रोशनी के साथ #Deepotsav मनाया जा रहा है।
(Source: Media Channel… pic.twitter.com/QRKstAffEq
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार हर साल दीपोत्सव का आयोजन करती है। यह उत्सव भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है, और यह शहर को एक वैश्विक आध्यात्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रतीक भी बन चुका है।
स्वयंसेवकों की भागीदारी
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के हजारों स्वयंसेवक एक साथ जुटे
इस वर्ष दीपोत्सव को और भव्य बनाने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के हजारों स्वयंसेवक एकत्रित हुए। सुबह से ही राम की पैड़ी पर दीये सजाने की तैयारियां शुरू हो गई थीं। स्वयंसेवकों ने मिट्टी के दीयों में बाती और तेल डालकर उन्हें सजाया। शाम होते ही लाखों दीयों की लौ एक साथ टिमटिमाई और घाटों को सुनहरी रोशनी से नहला दिया।
दीपोत्सव के दौरान उत्साहित लोगों ने राम की पैड़ी पर दीये जलाए, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस अवसर पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के निर्णायक रिचर्ड स्टेनिंग भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष सत्यापन प्रणाली लागू की गई थी। स्टेनिंग ने कहा कि प्रत्येक प्रतिभागी की प्रविष्टि को क्यूआर कोड के माध्यम से ट्रैक किया गया और हर क्षेत्र की बारीकी से निगरानी की गई। इसी वजह से रिकॉर्ड बनाने की प्रक्रिया बेहद पारदर्शी और व्यवस्थित रही।
दीपोत्सव का महत्व
हर वर्ष एक नया इतिहास रच रहा है अयोध्या का दीपोत्सव
अयोध्या का दीपोत्सव हर साल एक नया इतिहास रचता आ रहा है। इस बार 26 लाख से अधिक दीयों की जगमगाहट ने पूरी रामनगरी को दैदीप्यमान बना दिया और श्रद्धालुओं के लिए यह एक अनोखा क्षण बन गया।