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Shardiya Navratri 2025: देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2025 का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान और तप का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04:54 से 05:41 बजे तक है। जानें मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय चीजें, प्रभावशाली मंत्र और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
 

नवरात्रि का दूसरा दिन: देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा

Shardiya Navratri 2025 2nd Day: नवरात्रि के हर दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को आदि शक्ति माना जाता है, जिनकी आराधना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। वर्तमान में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। पहले दिन, 22 सितंबर 2025 को देवी शैलपुत्री की पूजा की गई, जबकि दूसरे दिन, 23 सितंबर 2025 को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का आयोजन होगा।


मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तप और वैराग्य का प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी आराधना से बुद्धि में वृद्धि होती है और ज्ञान प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं आती। इसके साथ ही, उनकी पूजा से मन को शांति मिलती है, जिससे व्यक्ति अपने कार्य में ध्यान केंद्रित कर पाता है। आइए जानते हैं कि आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का सबसे शुभ समय क्या होगा।


देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के दूसरे दिन, पूजा का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:54 से 05:41 बजे तक रहेगा। इसके बाद, दोपहर 12:08 से 12:56 बजे तक अभिजित मुहूर्त होगा। शाम को, 06:35 से 07:46 बजे तक सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त रहेगा। इस समय आप पूजा कर सकते हैं।


मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय चीजें


  • पुष्प- चमेली

  • रंग- सफेद और पीला

  • मिठाई: दूध से बनी मिठाइयां

  • फल: केला, सेब और संतरा


मां ब्रह्मचारिणी के प्रभावशाली मंत्र






मां ब्रह्मचारिणी का कवच






मां ब्रह्मचारिणी की आरती






मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि


  • स्नान आदि कार्य करने के बाद पवित्र सफेद या पीले रंग के कपड़े धारण करें।

  • मां दुर्गा की मूर्ति के पास मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।

  • हाथ में जल या अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।

  • देवी को फल, फूल, मिठाई, वस्त्र, अक्षत और चंदन अर्पित करें।

  • दीप, धूप और घी का एक दीपक जलाएं।

  • मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें और व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।

  • आरती करके पूजा का समापन करें।