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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व 26 जून 2025 से शुरू होकर 04 जुलाई 2025 तक चलेगा। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जो विशेष इच्छाओं की पूर्ति और सिद्धियों के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस पर्व के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
 

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष स्थान है, जिसे हर साल चार बार मनाया जाता है। इनमें से दो प्रमुख नवरात्रि चैत्र और शारदीय होती हैं, जबकि दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। गुप्त नवरात्रि का उद्देश्य विशेष इच्छाओं की पूर्ति और गुप्त सिद्धियों की प्राप्ति है। आषाढ़ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि इनमें से एक है। आइए जानते हैं आषाढ़ नवरात्रि के मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।


गुप्त नवरात्रि की तिथियाँ

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ 26 जून 2025 से होगा और यह 04 जुलाई 2025 तक चलेगा। इस बार यह पर्व पूरे 9 दिनों तक मनाया जाएगा। घटस्थापना का मुहूर्त 26 जून की सुबह 05:25 से 06:58 तक है, जबकि अभिजीत मुहूर्त 11:56 से 12:52 तक रहेगा।


शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05:28 से 07:10 तक है। अभिजीत मुहर्त का समय सुबह 11:58 से दोपहर 12:54 तक है।


पूजा का महत्व

गुप्त नवरात्रि के दौरान, दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं। इनकी उपासना से जातक को विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजा करने से ग्रह बाधाएं, नजर दोष, कुंडली के दोष और तंत्र बाधाएं दूर होती हैं।