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इंदिरा एकादशी: पितरों की कृपा से मिलेगा मोक्ष

इंदिरा एकादशी, जो हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के बाद मनाई जाती है, इस वर्ष 17 सितंबर को होगी। इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित पूजा के साथ-साथ कई शुभ योग बन रहे हैं, जो साधकों को विशेष फल प्रदान करेंगे। इस अवसर पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति का भी महत्व है। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और विशेष संयोगों के बारे में।
 

पितरों को मिलेगी मोक्ष की प्राप्ति


इंदिरा एकादशी हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के बाद मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। इस वर्ष, 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी का आयोजन होगा। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होगा।


इस अवसर पर साधक स्नान और ध्यान के बाद लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं और एकादशी का व्रत रखते हैं। एकादशी व्रत से घर में सुख और समृद्धि आती है।


पूजा का दोगुना फल

ज्योतिषियों के अनुसार, इंदिरा एकादशी पर एक दुर्लभ महासंयोग बन रहा है, जो कि 1941 के समान है। इस दिन का समय, नक्षत्र और पूजा का समय लगभग समान है। इस योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होगा।


इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी की तिथि 17 सितंबर को रात 12:21 बजे शुरू होगी। यह तिथि 17 सितंबर को रात 11:39 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है, इसलिए इंदिरा एकादशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी।


इंदिरा एकादशी के शुभ योग

इस दिन परिघ योग का संयोग बन रहा है, जो कि 17 सितंबर को रात 10:55 बजे समाप्त होगा। इसके बाद शिव योग का निर्माण होगा। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे।


1941 का पंचांग

1941 में भी इंदिरा एकादशी 17 सितंबर को मनाई गई थी। उस दिन एकादशी का संयोग शाम 4:26 बजे तक था। इस दिन परिघ योग का संयोग दोपहर 2:58 बजे हुआ था। कुल मिलाकर, 84 साल बाद एक समान दिन, समय, नक्षत्र और संयोग में इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।