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इंद्रिरा एकादशी: महत्व और तिथि की जानकारी

इंद्रिरा एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जानें कब है यह विशेष तिथि और इसके पीछे की मान्यताएँ। इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन के विशेष योग और पूजा विधि के बारे में।
 

इंद्रिरा एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष स्थान है। पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को इंद्रिरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, साथ ही पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पुण्य कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इंद्रिरा एकादशी कब है।


इंद्रिरा एकादशी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 16 सितंबर को रात 12:23 बजे शुरू होगी और 17 सितंबर को रात 11:40 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत उस दिन किया जाता है जब सुबह से एकादशी तिथि होती है। इसलिए, 17 सितंबर को ही एकादशी का व्रत और श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन गौरी योग का शुभ संयोग भी बन रहा है, क्योंकि चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में रहेगा। इस दिन व्रत और श्राद्ध करने वालों को पुण्य फल की प्राप्ति होगी।


इंद्रिरा एकादशी का महत्व

इंद्रिरा एकादशी के दिन व्रत और तर्पण करने से पितरों के पापों का नाश होता है। इसके साथ ही, व्रत रखने से सुख, समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति बैकुंठ धाम की प्राप्ति कर सकता है। यदि आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो भगवान विष्णु की पूजा करें और तिल का तर्पण करें। इससे पितरों को शांति मिलती है। इस दिन आप पितरों के नाम पर दान-पुण्य के कार्य भी कर सकते हैं।