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कजरी तीज: महत्व, पूजा विधि और व्रत के नियम

कजरी तीज, हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। जानें इस दिन के व्रत के नियम, पूजा विधि और कैसे इसे सही तरीके से मनाएं ताकि आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हों।
 

कजरी तीज का महत्व

कजरी तीज, हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले तीज उत्सवों में से एक है, जो हरियाली तीज और हरतालिका तीज के साथ आता है। यह भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे पति की लंबी उम्र और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, अविवाहित लड़कियां भी इस दिन व्रत रखती हैं ताकि उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति हो सके। इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।


कजरी तीज इस वर्ष 12 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तजन भगवान शिव और माता पार्वती को अर्घ्य अर्पित करते हैं।


कजरी तीज के व्रत के नियम

कजरी तीज के दिन झूला झूलना अनिवार्य माना जाता है, और ऐसा न करने पर व्रत अधूरा माना जाता है। इस दिन सफेद या काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। व्रत के दौरान सोना वर्जित है, और क्रोध या नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये भावनाएं व्रत को प्रभावित कर सकती हैं।


इस दिन नाखून काटना या बाल काटना अशुभ माना जाता है, और बाल धोना भी उचित नहीं है, क्योंकि इससे परिवार में कलह की संभावना बढ़ सकती है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी न जल का सेवन करना चाहिए और न ही कोई भोजन।


व्रत के दौरान कथा सुनना या पढ़ना आवश्यक है, क्योंकि कथा पढ़े बिना व्रत का फल प्राप्त नहीं होता। पारण से पहले दान देना शुभ माना जाता है, और इसके बाद 3 या 5 कन्याओं को भोजन कराना भी महत्वपूर्ण है। झाड़ू लगाने या झाड़ू छूने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से आर्थिक नुकसान हो सकता है।


कजरी तीज का व्रत पारंपरिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ है, बल्कि परिवार में सौहार्द और प्रेम बनाए रखने में भी सहायक होता है। इसलिए, यदि आप इस व्रत को रखने जा रहे हैं, तो उपरोक्त बातों का ध्यान रखें ताकि आपका व्रत सफल हो और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हों।